SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंचदहमो संधि विणु भत्तारें णारि वराई भूमिहे भरए भग्ग - घर - वासए धरट्ठ जुहिट्ठिलु तेरउ णारायण णरु तुम्हारउ कोंति तउ दुक्खु असहंतिउ ताव विचित्तवीर - वर जायउ सुन्वय - सामि पासु पयट्टउ जोय गंध सदस्य स-गंदण पुच्छिउ परम-धम्मु जिण - भासिउ पंच गइउ कहियउ अणुराएं जीव- समास जीव - गुणठाणई वासुएव वलएव उपत्तिउ जं तिहिं भुवणहं अन्यंतरे. जं ण हुवउ णउ होसइ तिणि वि काल कहइ धम्मद्धउ संपय-कालु समय- परिमाणउ एंतु अणंतु कालु जो होसइ कहि - मि दिवसिहि कलि पइसेसइ २ Jain Education International अच्छइ सिय जोयंति पराई मई जीवंतिए काई हयासए घत्ता भीमु तुहारउ सीर- घर | मई पालेवा जमल पर ॥ [१२] मदि केरा गुण सुमरंतिउ विउर-पंडु - घयरट्ठह-मायउ णं मोक्खहो रयणत्तय- वट्टउ सव्वहिं जाएव किय गुरु-वंदण तेण - वि णिरवसेसु विण्णासिउ कम्म- पयडि सर्दु लोय - विहाएं संजम-नियम -सीलल-वय-दाणइं कुलयर - जिण चक्कवइ-विहत्तिउ घत्ता णिरवसेसु तं अक्खियउ । तं पर एक्कु ण अक्खियउ ॥ [१३] ववगय-कालु अणाइ-निवद्भउ इच्छिउ किरिया - परि-अवसाणउ सो-वि उदु णिरारिउ होसइ माणुसु माणुसेण खज्जेसइ For Private & Personal Use Only १७ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy