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पंचदहमो संधि
विणु भत्तारें णारि वराई
भूमिहे भरए भग्ग - घर - वासए
धरट्ठ जुहिट्ठिलु तेरउ
णारायण णरु तुम्हारउ
कोंति तउ दुक्खु असहंतिउ ताव विचित्तवीर - वर जायउ सुन्वय - सामि पासु पयट्टउ जोय गंध सदस्य स-गंदण पुच्छिउ परम-धम्मु जिण - भासिउ पंच गइउ कहियउ अणुराएं जीव- समास जीव - गुणठाणई वासुएव वलएव उपत्तिउ
जं तिहिं भुवणहं अन्यंतरे. जं ण हुवउ णउ होसइ
तिणि वि काल कहइ धम्मद्धउ संपय-कालु समय- परिमाणउ एंतु अणंतु कालु जो होसइ कहि - मि दिवसिहि कलि पइसेसइ
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अच्छइ सिय जोयंति पराई मई जीवंतिए काई हयासए
घत्ता
भीमु तुहारउ सीर- घर | मई पालेवा जमल पर ॥
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मदि केरा गुण सुमरंतिउ विउर-पंडु - घयरट्ठह-मायउ णं मोक्खहो रयणत्तय- वट्टउ सव्वहिं जाएव किय गुरु-वंदण तेण - वि णिरवसेसु विण्णासिउ कम्म- पयडि सर्दु लोय - विहाएं संजम-नियम -सीलल-वय-दाणइं कुलयर - जिण चक्कवइ-विहत्तिउ
घत्ता
णिरवसेसु तं अक्खियउ । तं पर एक्कु ण अक्खियउ ॥
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ववगय-कालु अणाइ-निवद्भउ इच्छिउ किरिया - परि-अवसाणउ सो-वि उदु णिरारिउ होसइ माणुसु माणुसेण खज्जेसइ
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