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________________ १.६ जं भई सुदु हरिउ हसंतएहिं परिहियई दुकूलई णरवइहि . जे कंकण-चूडालंकिय णिय भत्तार- विहूणि (ए) हे रडि यि भुय-जय जोएवि मुक्क र हा पंडु पंडु पंडवहं मुउ हा कुरु - परमेसर धीर-मइ हा पई विणु रंडी पुहइ-वहु हा पईं विणु विहलीहूय पय हा पईं विणु परई णिरग्गलई हा पई विणु सोह ण गयउरहो हा पई विणु कुरुय - वंसु खसिउ धत्ता पिय- विओए विहलंघलि होंतिए हा हा मदि मांद गय केतहे हा हा मद्दि मद्दि तुहु घण्णी हा हा मद्दि मद्दि किउ चंगउ पइ अप्पणउं सइत्तणु पालिउ कुल- बहुहे भत्तारु जि मंडणु 10 lb Bh afs परमेसर रज्जे तुहारए को एवहि महि पालेसइ Jain Education International तं दिष्णु णाई रोवंतएहिं आहरणई ताई जि तीवइहिं रिमिचरिउ कोमल - कोंपल - कंति-हर । कुंतिहे सोह ण दिंति कर ॥ ८ [१०] णं णिवडिय झत्ति तडति तडि हा पई विणु जगु अंधारु हुउ हा पई विणु मई को धीरवइ हा पई विणु सोहइ कवणु पहु हा पई विष्णु रायलच्छिवि गय को सेव करावइ मंडलई । विहवत्तणु सयलंते रहो । हा पई विणु खलयणु उध्दुसिउ ८ धत्ता वाइ वाउ रवि तवइ पर । रुवइ स - दुक्खउ णाई घर ॥ [ ११ ] पुणु वि पुणु वि धाहाविडं कांतिए एक्कसि चित्त दोह महु जेत्तहे णिय-कुलहरहो कित्ति उप्पण्णी जं पिययमहो ण मेल्लिउ संगउ वंधव - सयण-वयणु उज्जालिउ वरि मुय व चारितहो खंडणु For Private & Personal Use Only ४ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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