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________________ पंचदहमो संधि तइयए रयण-तउ ति - विह-गुणु पंचम - करे पंच- पयार वय सत्तमए सत्त-भय-खय-करणु raमए णत्र-वं भचेर धरणु यार[स] सुइ एयारह मे तेरहमए तेरह - विदु चरिउ पण्णारहमए भव-भय-हरणु सोलहमए करे पहरणु पवरु सत्तारहमए दुद्दम-दमणु अट्ठारहमए भव्वुद्धरणु एकुणवीसमए विचार-सह असमाहि-थाण-परिहरणई सा तिविहाराहण - भयवइ तहिं अवसरि परिवइदिय-सोएं सुत्त वियारेवि रिसि-सय-सारउ दिण्ण कण्ण णरवइ-संघाएं दिण्ण कण्ण अवरेहि मि सव्वेहि जरढ - दिवा यर- दूसह तेएं को आराहउ एत्थु भडारा कवणाराहण के फलु वुच्चइ दिढ - मणु भव्वु जीउ आराहइ 5 5a Bh. जठर Jain Education International चउथए चयारि मंगलई पुणु छट्टए छज्जीव-णिकाय-दय अट्ठमए अट्ठ मय-परिहरणु दसमए दस - धम्म- समाचरणु वार अणुवेक्ख वारहमे चउदहमए गुण - थाणउं धरिंउ दह-पंच- पमाय- निराकरणु सोलह - कसाय - कुल-पलय-करु सत्तारह - संजम - संजमणु अट्ठारह-दोस- गिराकरणु उणवीस - व्विह धम्म-कह धत्ता वीस व करयले वीसमए 1 सव्वहं सोक्खई देउ जए ॥ [ ५ ] १३ For Private & Personal Use Only ४ ८ १२ १४ अंचिय आराहण सुहि-लोएं अक्खइ सुव्वय - सामि-भडारउ सूरे चंदे वारुणिचाएं जे हे मिलियहि भव्वाभव्वेहि ४ पुच्छिउ दिव्व णाणि गंगेएं को आरन्धु महव्वय-धारा सुणु णरवइ परमेसर सुच्चइ जइ सक्कइ तो सवई साहइ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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