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णरु णारायणु पई जोएवउ ताम कुंति आउच्छिय अणुयए तुहुं मझत्थी-भावें पालहि तई सहएव-णउल रक्खेवा मई पुणु पिरण समाणु मरेवउ
रिट्ठणेमिचरिउ गुरुजणे धणु-वेयह ढोएवउ वासव-कुलिस-किसत्तण-तणुयए जिह णिय सुय तिह अवर णिहालहि हत्थे समाप्पिय तउ णक्खेवा तेरह दिण सण्णासु करेल्वउ
पत्ता
जणु णिरवसेसु आउांच्छउ पंचें दियई णियत्तियइं । आराहण-गंगा-संगमे
अट्ट वि अंगई घत्तियइं ॥ १०
[३] पुण्ण पवित्त सुमंगलगारी दिट्ठाराहण-गंग भडारी जा सेविज्जइ रेसि-गण-विदेहि थुव्वइ णाग-णरिदं सुरिंदेहिं जा णीसरिय मोक्ख-गिरि-सिहरहो मिलिय जइण-सासण-मयरहरहो जहिं अखोहु परमागम-पाणिउं सुय-केवलिहि आसि जं माणिउं ४ जहिं पिहुलई तित्थंकर-तित्थई विमलीहोंति महव्वय-वत्थई जहिं रिसि-विहय मुवंति ण पासइं जहिं पडंति भवियंग-सहासई जा विरय-परलोय-पवाहिणि गणहर-वालाहिएहिं अगाणि तं आराहण-गंग पइट्टई पंडु-मद्दि विण्णि-वि परितुट्टई
धत्ता अवरु वि आराहण-गंगहे जो णरु घत्तइ अप्पणउं । सो खवग-सेटि-आरूढउ पावइ सासय-ग्वंपणउं ॥ ९
[४] आराहण-भगवइ वीस-भुय । सुर-[णर]-किण्णर-गंधव्व-थुय करे पहिलइ पहरणु मोक्खु किउ तउ दु-विहु दुइज्जइ हस्थि थिउ
4 14b सिविहाv०
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