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ववगय-हरिणाहेडा-कंडहे मइ पावेण काई मिगु विदउ एण सरीरें जंत-मरतें सायरु सोसिउ सलिलु पियंतें एम(? ण) सरीरें अमलु अलंछणु तो वि ण तित्ति होइ णिल्लज्जहो
रिट्ठणेमिचरिउ अवछू हूय महंती पंडुहे णिय-पिययम-रइ-बेहाविद्धउ ४ तिहुयणु खद्ध असेसु वि खतें वसुमइ सयल दड्ढ दर्शातें ण किउ धम्मु किउ धम्महो लंछणु वट्टइ जामि थामि णिय-कज्जहो ८
धत्ता
जं दुक्कम्मु समाचरइ परिभमंतु भव-भव-सरहिं
वहवहं पुत्त-कलत्तहं भुल्लउ । तं अणुहवइ जीउ एक्कल्लउ ॥
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[१८]
ताम महारिसि-संधु पराइड तहिं परमेसरु सुव्वय-सामिउ सद्दवंतु आयम-रयणायरु जुत्ताचार सारु रिसि-संघहो डरिउ अट्ठ-कत्तरि-संजुत्तें तेण वि जण-मण-णयणाणंदहो अहो गयवर-पुरवर-परमेसर जं जाणहिं तं चितहिं कज्जु
णाई णराहिव-पुण्णेहिं आइउ दिव्व-णाणि सिव-सासय-गाभिउ गुण-मणि-णिहि तब-तेय-दिवायरु मोक्ख-महाहवे णिक्खय-जंघहो ४ वंदिउ गुरु अंबालिय-पुत्तें अक्खिउ आउ-पमाणु णरिंदहो पई जीवेवउ तेरह वासर को तुहुं कहो केरउ किर रज्जु ८
धत्ता
णिसुणेवि कुरुव-णराहिवेण देप्पिणु लोउ सयंभुएहिं
किय णिवित्ति आहार-सरीरहो । ढुक्कु दवक्कि तरंगिणि-तीरहो ।
इय रिटणेमिचरिए सयंभुवकए चउद्दहमो संधि समत्तो ॥
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