SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चउद्दहमो संधि रमणु महालवालु थण फल इव करयल-कोमल-दल पल्लव इव अहरोट्टल्ल फुल्ल लोयण अलि अहिवणे(?) सण-कसण्ण-केसावलि एक्क वि पुब्वि जि हियइ पइट्ठी अण्णु वि पुणु णिय-णयणेहिं दिट्ठी डाहु काई पुच्छिज्जइ रायहो अत्थि मल्लु को पेम्महो आयहो ८ धत्ता विहि-मि परोप्पर तित्ति ण-वि विहिं एक्कु वि एक्कहो ण वियदृइ । अमिय-रसोवमु वल्लहउ पर मेल्लंतह हियवउ फुट्टइ ॥ ९ [१६] पभणइ मद्दि मणोहर-गारी पहु महु एवहिं बील तुहारी हरिणइं ताम विण्णि मय-मत्तई वणे अच्छंति समागमु जंतइ तो पत्थिवेण पलज्जिय-चित्तें कोत्र-जलण-जालोलि-पलिरों हरिणु वियारिउ पंचहिं वाणेहिं दुक्किंकरहिं व मेल्लिउ पाणेहिं ४ दइवी वाणि ताम णहे उठ्ठिय अहो गरिंद दुक्कम्माणुट्टिय भोयणे पाणे सु-सयणे समागमे वइरि वि णाहि णिहम्मइ आगमे तुहं पुणु खत्त-धम्म-परिचत्तउ अच्छहि णिग्घिणु जीव वहंतउ कवणु पयत्थु एत्थु तउ सिद्धउ विणु कज्जेण जेण मिगु विद्धउ अहवइ पसवहं मरणु वि सुंदर का वि ण भंति थत्ति गिरि-कंदरु धत्ता तणिहिं दिप्णइं लोयणइं तवसिहि कत्ति मासु बग्घायहुं । णामु चडाविउ ससि-फलए कवणु पएसु वियारिउ आयडं ॥ १० [१७] णरवइ णिरवराहु अधियप्पउ पसउ ण घाइउ घाइड अप्पउ आएहिं वयणेहिं अभिय-समाणेहिं महियले वित्तु चाउ सहु वाणेहिं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy