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________________ रिट्ठणेमिचरिउ सो किउ किव-चरितु किव-वंतउ सव्वाउह-आइरिउ महंतउ सो धयरट्ठ-जेडु खमु रज्जहो विउरु विउरु सो सव्वहो कज्जहो ताउ विचित्तवीर-वर-णारिउ अण्ण-वि कुंति-मद्दि-गंधारित सव्वई ताई पंडु परिपालइ लोयवालु जगु जेम णिहालइ ॥ ८ धत्ता को सक्कइ गुण गणेवि तहो महिहर-थणिय महा-णइ-हारी । सायर-रसण-सणाह महि दासि जेम जसु पेसणयारी ॥ ९ [१४] अण्णहि दिणे सीह-विलास-गइ गउ उववणु पंडु णराहिवइ सहुं पंचहिं पुत्तहिं कुंति थिया णं मेइणि लोयवाल-सहिया अणुलग्ग मद्दि परमेसरहो णव चंदलेह णं दिणयरहो णं करिणि करिहे मय-णिभरहो रइ कामहो रोहिणि ससहरहो ४ पेक्खेवि चुअमंज्जरि तो घणइं कल-कोइल-मुहल-लयावणइं महुयरि-झंकार-मणोहरइं . मलयाणिल-चालिय-कुसुम-सई पप्फुल्लिय घण पंकय-वणई केसर-पिंजरिय-भमर-गणई अहिणव-कुसुम-रय-करवियई सीयलई जलई अलि-चुंबियइं ८ धत्ता सुरसरि-तीर-लया-भवणे णंदण-वणे सुर-कीलण-जोग्गए। मद्दि पराइय तुरिय तहिं पुव्व संझ थिय रविहे व अग्गए ॥ ९ [१५] पिययम पिययमेण छुड्डु दिट्ठी काम-भल्लि णं हियइ पइट्ठी लायण्णंभ-भरिय-वर-भुवणी कंति-लयालिंगिय-तरु-गहणी कम-कमलेहिं धरणि अच्चंती णह-मणि-अंगुलि पहि(?) मल्हंती । ऊरु णिहालिय णयणाणंदा णं रोमावलि-वेल्लिहे-कंदा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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