________________
तेण रयण-मंजूस लइज्जइ कण्ण धरेबि ताम सिसु सुत्तउ पच्छा जाणिउ माया-वप्पे
रिट्ठणेमिचरिउ णिय-घरु णेवि जात्र जोइज्जइ णाम-करणु किउ कण्णु जे वुत्तउ ८ दिण्ण स-मद्दि कुति अविसप्पें
धत्ता
पंडुहे रज्जु करताहो धम्म मुएविणु अण्णु ण रुच्चइ । धम्म-दिवसे उप्पण्णु किर तव-सुउ धम्म-पुत्तु तें वुच्चइ ॥ १०
[१०] जाउ जुहिट्ठिलु जय-जय-सदें वहल-धवल-मंगल-कल-णदें वद्धावणु जण-मण-परिओसें झल्लरि-भेरि-पडह-परिघोसे छण-मझण्णे मणोरह-गारए जेट्ठा-रिक्खे वारे अंगारए विच्छिय-रासिहे णवमए अंसए दाइय-लोउ चडाविउ संसए। ४ णिवडिउ झत्ति हियउ गंधारिहे कुंजर-जू हु जेम वर-वारिहे कोतिहे रज्जु वज्जु महु ' हूयउ मंछुडु जमेण विसज्जिउ दूवउ तेण(?) णिप्पज्जइ दुह-भायणु वरि परिगलिउ अदिहि-उप्पायणु कइहि-मि दिणिहि ताम कलि-रोहणु सुउ उप्पण्णु तासु दुजोहणु ॥ ८
धत्ता दुम्मुहु दुडु दुरासु खलु दुजणु दुव्वियधु दुविसिट्ठउ घरे धयरहो सुय-णिहेण णावइ कलि पच्चक्खु पइट्टउ ॥ ९
[११]
तो जच्चंधे कोक्किउ पत्तणु रज्जु जुहिट्ठिल-रायहो घोसइ सेसउ घिवहे(?) घिवंति णरेसर कंक-गिद्ध-गोमाउ-महारव
जोयणगंध विउरु किउ संतणु तहो पच्छई महु पुत्तहो होसइ उट्ठिय सिव-फेक्कार भयंकर विरसु रसिय खय-पारावार व
४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org