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________________ रिट्ठणेमिचरिउ घत्ता वुच्चइ संतणु-गंदणेण लइयउ मई कोमार-वउ रज्जु ण करमिण परिणमि कालहो। तुम्हई देहु धीय महिपालहो ॥ ९ तहिं अवसरे पसरिय-अवलेवेहिं मेल्लिउ कुसुमवासु सिरे देविहिं भीसण-सावय-वय-संजोएं भीसु भणेवि णामें लिउ लोएं जोयणगंध लइय महिपाले चित्त-विचित्त पुत्त वहु-कालें संतणु-वसु-तणयहं उप्पण्णा विजा-विक्कम-णय-संपण्णा ४ तहिं पहिलारउ कारणे णामहो ढुक्कु एक्कु तुलमय-संगामहो चित्तरहेण समउ आभिट्टेवि गउ सरीर-पाणेहि-मि फिटेवि थिउ विचित्तवीरिउ एक्कल्लउ गंग-पुत्तु तहो उप्परि भल्लउ एकहिं दिवसे पहिउ परिपुच्छिउ कत्थहो आउ वप्प कहिं अच्छिउ ८ घत्ता कहिउ कुमारहो पंथिएण कासि-विसए वाणारसि-राणउ । तेण सयंवर मंडियउ कण्णउ तिणि ति-गुत्ति समाणउ ॥ ९ [७] गउ तुरंतु तहिं गंगा-णंदणु चंचल-तुरय-तुराविय-संदणु मंड हरेप्पिणु तिणि वि कण्णउ वलइ जाम रणे णीसावण्णउ ताम णिरंभिउ चउहु-मि पासेहि वर-वइरत्तएहिं ति-सहासेहिं विन्दु वलुध्दुरेण एक्केक्कउ तिहिं तिहिं सरेहिं सव्वु पारक्कउ ४ आउ लएप्पिणु चल-भउंहालउ . अवंविय-अंवालिय-वालउ परिणाविउ विचित्त-वर-वीरिउ कउरव-वंसु असेसु वि धीरिउ णंदण तिहि मि तिण्णि उप्पण्णा वद्धिय वुद्धि-रिद्वि-संपण्णा तहिं धयरट्ठ ताहं पहिलारउं मज्झिमु पंडु विउरु लहुयारउ ८ 64b missing in Bh. . 7 9a Bh पंडुवउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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