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तिणि पुत पउमावइहे जा सा पुत्त-सयहो जणणि
सुणु गयउरे एक्केक्क- पहाणा
कुरु-गुरु-चंद-सुहंकर- दिहिकर भमरघोस - हरिघोस - हरिद्वय इभवाहण-जय-विजयाणुंधर वीससेण-विससेण-विसद्धय
सण कुमार - सुकुमार- सुदरिसण
पउमभाल - पउमरह- पहाणा
वासुइ - इंद- वीर सुय-सारण
इय एक्केक्कप-हाण - पहु जे संभूय णराहिवइ
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घत्ता
एक्क भीय परिपालिय- रट्ठहो । होसइ अग्ग-महिसि घयरगृहो ||
[ २ ]
रिट्टणेमिचरिउ
सोमप्पह- मेहेसर - राणा
गंगएव - दिहिमित्त - पियंकर सूरघोस - पिघोस - पिय
वीसावसु-वसु-सुवसु- वसुंधर संति- कुंथु - अर- सूरससिद्धय
वासव-वासुरवणारायण परम- सुभोमराय - हरि-राणा
दिवरह - चित्तसेण-गयवारण
[ ३ ]
घत्ता
पर- पियरेण गएण असेसें ।
ताहं वि णामई कमि विसेसें ॥ ९
वंभु मरीइ - महीवइ - कासउ आउसु णहुसु जयाइ अनंतरु कासउ इलिणु दुसंतु पहाणउ अजु अजमीढु रिक्खु रणि दुज्जउ पुणु परिरक्खिय- पुढवि पडीवर हिमगिरि- दुहिय तेण परिणिज्जइ
रवि जमु इणु मणु इणु (लु) स- पुरूरउ पुरु रुद्धासुरु वेउ जयंधरु भरहु भुअणु वासु विहि-राणउ अवरु हुवउ तहो कुरु जणमेजर पुणु संतणु कुल-भवण-पईवउ गंग व गंग भणेवि जाणिज्जइ
एत्तिउ जगे सोहग्गु ण काहे विजं सुरसरिहे णाउं तं ताहे वि
14. 1.9 Bh J रिट्ठहो
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