SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २ तिणि पुत पउमावइहे जा सा पुत्त-सयहो जणणि सुणु गयउरे एक्केक्क- पहाणा कुरु-गुरु-चंद-सुहंकर- दिहिकर भमरघोस - हरिघोस - हरिद्वय इभवाहण-जय-विजयाणुंधर वीससेण-विससेण-विसद्धय सण कुमार - सुकुमार- सुदरिसण पउमभाल - पउमरह- पहाणा वासुइ - इंद- वीर सुय-सारण इय एक्केक्कप-हाण - पहु जे संभूय णराहिवइ Jain Education International घत्ता एक्क भीय परिपालिय- रट्ठहो । होसइ अग्ग-महिसि घयरगृहो || [ २ ] रिट्टणेमिचरिउ सोमप्पह- मेहेसर - राणा गंगएव - दिहिमित्त - पियंकर सूरघोस - पिघोस - पिय वीसावसु-वसु-सुवसु- वसुंधर संति- कुंथु - अर- सूरससिद्धय वासव-वासुरवणारायण परम- सुभोमराय - हरि-राणा दिवरह - चित्तसेण-गयवारण [ ३ ] घत्ता पर- पियरेण गएण असेसें । ताहं वि णामई कमि विसेसें ॥ ९ वंभु मरीइ - महीवइ - कासउ आउसु णहुसु जयाइ अनंतरु कासउ इलिणु दुसंतु पहाणउ अजु अजमीढु रिक्खु रणि दुज्जउ पुणु परिरक्खिय- पुढवि पडीवर हिमगिरि- दुहिय तेण परिणिज्जइ रवि जमु इणु मणु इणु (लु) स- पुरूरउ पुरु रुद्धासुरु वेउ जयंधरु भरहु भुअणु वासु विहि-राणउ अवरु हुवउ तहो कुरु जणमेजर पुणु संतणु कुल-भवण-पईवउ गंग व गंग भणेवि जाणिज्जइ एत्तिउ जगे सोहग्गु ण काहे विजं सुरसरिहे णाउं तं ताहे वि 14. 1.9 Bh J रिट्ठहो For Private & Personal Use Only ४ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy