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१३.८
मच्छाहिवइ अ- माणुस-गम्मे तं तव तणएं वृत्त विओयरु रहरु वाहि वाहि लइ पहरणु अण्णहो कहो सुहडत्तणु छज्जइ को पई मुरविं मणोरह पूरइ को पई मेल्लेवि वइरि वित्त को पई मेल्लेवि पेसणु सारइ आयो घरे अच्छिय संवच्छरु
ras णमेव विओयरेण णावइ रोसव संगण
जं उप्पाडिउ पायउ भीमें आएं वच्छण काइ-मि कारणु तो करयले किउ स-सरु सरासणु तोणा - जुयलु णिवद्ध भयंकर जमल-जुहिट्ठिल तिहि-मि परसेहिं संदाणई जुज्झणहं ण इच्छइ चलिय चयारि-त्रि पत्रिय-मच्छर णं उत्थल्ल चयारि-वि सायर
रहिय चयारि चयारि रह जायइ णवर भिडंताई
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रिट्टणेमिचरिउ
[१२] जीवगाहु जं लयउ सुसम्मे
भीम भीम तउ वइ अवसर करिं वंदिग्गह- गोग्गह-कारणु पई मेल्लेत्रि को गय- घड भंजइ को पई मेल्लेवि संदणु पूरइ को पई मेलेवि मच्छु नियत्तइ को पई मेल्लेवि वलु साहारइ तहो उवयारहो काइ - मि संभरु
धत्ता
उक्खउ दुमु दाविय-भुयदंडें । णिय आलाण खंभु वेयं डें ॥
[१३]
विणिवरिउ तव सुरण सु-धीमें
जण-सावण्णु - ऋण्णु-लइ पहरणु दुण्णिवार - वर रवइरि-विणासणु जम-करणोत्रम् वाहिउ रहवरु मज्झे भीमु थिउ कह व किलेसेहि रुदे रणंगणे जगुवि पडिच्छइ णं कलि-वाल- कयंत-सणिच्छर णं अणिलाणिल-तेय - दिवायर
घत्ता
कवय चयारि चयारि जे चावई लक्खक्खोहणि कोडि-पयावई ।
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