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उणतीसमो संधि
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[१४] मिडिय चयारि-वि पसरिय-कलयले अलमल-मयगल-आलि व पर-वले एक्क-रहेण जुहिट्ठिल-राएं चंड-चंड-कोयंड-सहाएं कुंडल-कङय-मउउप-यजलंतहं तेरह सयइं हयइं सामंतह दणु-दप्प-हरण-पहरण-सहियह भीमें सय एयारहण रहियह उक्खय-वर-करवाल-करालह णउले अट्ठ-सयइं पायालहं वइसारियई समरे संखेवे जोहहं णव-सयाई सहएतो कर-कमलाकरिसिय-धम्में वाण चउद्दह मुक्क सुसम्में तेहिं णराहिउ कह-विण साहिउ ताम विओयरेण रहु वाहिउ
घत्ता
सरहसु साउहु सामरिसु मज्झे परिट्ठिउ विझु जिह
विहि-मि तिगत-जुहिट्ठिल-रायहं । उत्तर-दाहिण-विसय-विहायह ॥
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उन्भड-मिउडी-भगुर-भीमहं जाउ जुञ्ज जालंधर-भीमहं विण्णि-वि गयण-मुरंगण-इंगिय विण्ण-वि रण-सिरि-रामालिंगिय विण्णि-विधण-धन-धाय-किणंकिय विष्ण-वि कंचण-क्रवयालंकिय विण्णि-वि स-सर-सरासण-करयल विण्णि-वि वियडुण्णय-वच्छ-त्थल ४ विण्णि-वि णह-मणि-किरण-करालिय विण्णि-वि मुह-ससहर-कर-धवलिय भीम भुयग्गाइढिय-वाणेहिं सप्पासंग-सप्प-परिमाणेहिं पाडिय चउ तुरंग पाविय महि चूरिय-चक्करक्खु हउ सारहि
धत्ता मेल्लाविउ मच्छाहिवइ धरिउ सुसम्मु अणुण्णय-माणउ । भागु असेसु वि वइरि-वलु वलिउ भीम जय-कारिड राणउ ॥ ८
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