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________________ उणतीसमो संधि विणि-वि वलई थियई थोक्तरु पुणु पडिलग्गई उडुवइ - उग्गमे मिहुई जिह मेल्लिय- हुंकारई मिहुई जिह आलिंगण-लीलाई मिहुणई जिह वण- भरिय - सरीरई मिहुणई जिह अण्णोण्णासत्तई मिहुई जिह डसियाहर- उट्ठाई मिहुई जिह वढिय मुह- सोहई मिहुणई जिह मुच्याउर मिहुणई जिह जुज्झणभणइ पुणु व महाहउ जाउ भयंकरु वावरंति णाराय - सहासेहि लोह - फलेहिं चामीयर - पुंखेहि रवि-ससि-कंत-सिलायल-धोए हिं गय-पडियागय-मंडल- थाणेहि पंचहि सरेहिं विंद्र जालंधरु दसहि विराडे वि तिगत्तर वरसेवि सरवर - यिरु हे लइउ विराडु तिगत्तएण Jain Education International [ १० ] जाम चंदु चंदावइ अंवरु मिहुई जिह दाविय सोहग्गई मिहुई जिह अणवरय-पहार इं मिहुई जिह केसग्गह-सीलई मिहुणई जिह दर - दाविय धीरइं मिहुणई जिह सेउल्लिय-गत्तई मिहुणई जिह इयरेयर-लट्टई मिहुणई जिह पम्मुक्क. सरोहई धत्ता मिहुइ जिह गय - आगय-जीयइ | जिह अवसाणि विलीणइ ॥ [११] भिडिय विराड - सुसम्म परोप्परु आसीविस-विसहर-विसमासेहि कंकपत्त - पत्तियहि असंखेहि पच्छाइय-गयणयलाहोपहि खंडिय वाण परोप्पर वाहि पंच-वि पंचहि किय सय- सक्करु तेण वि मग्गण - विहे छित्तर घन्ता रहु रहेण णिरुधेवि पावइ । झप देवि अहिं गरुडे णावइ || For Private & Personal Use Only १३७ ४ ८ ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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