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रिट्ठणेमिचरिउ
.. ८] छुड्डु अवरण्हहो दुक्कु दिवायरु ताम णिहालिउ पर-वल-सायरु गय-घड-वेलोरालिय-महियलु - धवल-घयायवत्त-फेशुज्जलु तुरय-तरंगु महारह-जलयरु ण रवइ-णक्कग्गाह-भयंकर रिउ-समुद्द तं णिएवि असुदरु ढुक्कु विराड्डु णाई गिरि मंदरु धाइय धाणुक्किय धाणुक्कह रहवर-रहवर-विंदहं ढुक्कहं रहियह रहिय णरिंदहं णरवर तुरयहं तुरय गइंदहं गयवर भिडियई बलई एव अवरुप्परु जाउ महाहउ सुट्ट भयंकर उट्टिउ रउ मलंतु रणंगणु धरणि ण दीसइ णउ गयणंगणु
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धत्ता
मच्छ-तिगत्तहं केराई जाई कयावि ण एक्काहिं मिलियइं । ताई छुहावसिहूयएण रय-रक्खसेण वलई णं गिलियई ॥
... [९] तहिं तेहए वि काले पहरंते णर-पवरोहे देह हणते सिरई अकुंडलाई तोडतें भड-कर-चरण-गीव मोडतें विज्जुल-वलय-चलेण चलंतें कुंजर-कुंभत्थलई दलतें सीह-किसोर-विलास-विलासे मच्छहो भायरेण मइरासें पप्फुल्लिय-जंपणय-रविंदह हयई चयारि-सयाई गरिंदहं वाहिय-रहवरेहिं णर-पवरेहिं सउ सउ भायरेहिं विहिं अवरेहि पंच-सयाइं विराडे रहियहं सत्त-महा-तुरंग-सय-सहियह गयवर-सउ वइसारिउ जामहिं दुमाणि सुमेरु पराइउ तामहिं
. घत्ता चंदु चिरावइ रवि ल्हसिउ पसरिउ धूलि-वल(?)-अंधारउ । । णाण-विहाणहं मोक्खु जिह जाउ महाहउ दू-संचारउ ॥
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