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उणतीसमो संधि
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सायकुंममय-तोणा-जुयलई कंक-पक्ख-मग्गण-गण-मुहलई महिल भणेवि परिहरिय विहंदल जलयर-वलयालंकिय-करयल जमल वे-वि पय-रक्ख करेप्पिणु पच्छिम-भाइ जुहिट्ठिलु देप्पिणु भीम-परक्कमु भीमु पधाइड कुरुवहं णाइ कियंतु पराइड रहु कइढिज्जइ पवर-तुरंगेहि जिगिजिगंत-सोवण्ण-रहंगेहिं पहरण-कवय-किरीड-समुज्जलु णहे विप्फुरइ णाई रवि-मंडलु रहिय चियारि चियारि-वि भावई कक्य चियारि चियारि-वि चावई
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घत्ता
सरहस साउह सामरिस लग्गा कुढे वण-गहणे जिह
स-कवय स-धणु चयारि-वि भायर । मारुय-गिंभ-दवग्गि-दिवायर ॥ १०
तओ महा-भयावहं हयं णरिंद-तूरयं महा-समुद्द-णीसणं रसाविदल-मंडलं घणोह-गज्जिओवमं डरावियामरिंदयं अणेय-णंदि-णंदियं अणेय-मद्दलाउलं
तडि-णिणाय-दूसहं दियंतराल-पूरयं । जमट्टहास-भीसणं पसरियाहि-चुभलं कयंत-घोरणा-समं पण?-सुट्ठ-दिग्गयं अणेय-संख-सहियं अणेय-भेरि-संकुलं
घत्ता
अट्ठ-सहास महा-रहहं तीस-सहास तुरंगामह
सज्जीकयहं सहासु गइंदहं । दस-सहास कुल-जाय-णरिंदहं ॥
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