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________________ उणतीसमो संधि १३५ सायकुंममय-तोणा-जुयलई कंक-पक्ख-मग्गण-गण-मुहलई महिल भणेवि परिहरिय विहंदल जलयर-वलयालंकिय-करयल जमल वे-वि पय-रक्ख करेप्पिणु पच्छिम-भाइ जुहिट्ठिलु देप्पिणु भीम-परक्कमु भीमु पधाइड कुरुवहं णाइ कियंतु पराइड रहु कइढिज्जइ पवर-तुरंगेहि जिगिजिगंत-सोवण्ण-रहंगेहिं पहरण-कवय-किरीड-समुज्जलु णहे विप्फुरइ णाई रवि-मंडलु रहिय चियारि चियारि-वि भावई कक्य चियारि चियारि-वि चावई ८ घत्ता सरहस साउह सामरिस लग्गा कुढे वण-गहणे जिह स-कवय स-धणु चयारि-वि भायर । मारुय-गिंभ-दवग्गि-दिवायर ॥ १० तओ महा-भयावहं हयं णरिंद-तूरयं महा-समुद्द-णीसणं रसाविदल-मंडलं घणोह-गज्जिओवमं डरावियामरिंदयं अणेय-णंदि-णंदियं अणेय-मद्दलाउलं तडि-णिणाय-दूसहं दियंतराल-पूरयं । जमट्टहास-भीसणं पसरियाहि-चुभलं कयंत-घोरणा-समं पण?-सुट्ठ-दिग्गयं अणेय-संख-सहियं अणेय-भेरि-संकुलं घत्ता अट्ठ-सहास महा-रहहं तीस-सहास तुरंगामह सज्जीकयहं सहासु गइंदहं । दस-सहास कुल-जाय-णरिंदहं ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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