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रिट्ठणेमिचरित
वुज्चइ मच्छराउ सह-मंडवे अक्व-जूए हेवाइयु पंडवे जालंधरेहिं देव धणु लइयउ णयलु छत्त-चिंध-धय-छइयउ पत्त तिगत्तउ मत्त- गइंदेहि णाई पुरंदर जलहर-विदेहि कुंजर कंचण-मालोमालिय णं घण विज्जुज्जोउज्जालिय रह वाहिय सोबण्णहिं चक्केहिं मंडल-तुग-जडिय-माणिक्केहि कि-वि आरूढा पवर-तुरंगेहिं णं जलणिहि-कल्लोल तरंगेहिं
घत्ता तो सरहसु मच्छाहिवइ लइयए धणे धणवालहो वाए । कोटुग्गाले णीसरिउ मुक्कु समुद्द णाई मज्जाए ॥
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वहु-गुणु बहु-पयाउ वडु-लक्खणु उत्तरु पुरहो करेप्पिणु रक्खणु सई सण्णद्ध विराडु स-साहणु गरुड-समीरण-मण-जव-वाहणु चडिउ महारहे कंचण-गढियए विप्फुरमाण-महामणि-जडियए जय-सिरि-रामा-गहण-समच्छे कंचण-कवउ मणोहरु मच्छे धिवेवि पडिच्छिउ णिय-शुय-डालेहिं घवघवंतु महि घग्घर-मालिहिं जिह अप्पाणहो तिह तिहिं भाइहिं दिण्ण महारह णिहयाराएहिं एक्कु सयाणीयहो जयसासहो रहबरु अवरु दिण्णु मइरासहो अवरु वि सयणंदहो दुष्पेक्खहो णिय-गंदणहो चउत्थहो संचहो
घत्ता
पंच-वि पंचहिं रहेहिं थिय साउह स-कवय जय-जस-लुद्धा । उप्परि जालंधर-वलहो पंच-वि लोयवाल णं कुद्धा ॥
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पंडु-सुयहं पच्छण्ण-सरीरहं कंचण-कवयई कंचण-चावई
कणय-महारह पेसिय धीरहं दिण्णइ वइरि-विणासण-भावई
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