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________________ १२८ चितिउ कीयएण उसइलिधि-करु कह कह - विगाहु मेल्लावियउ गंधव जाहि किं जुज्झिएण हउं कीयउ सव्त्र - कला-कुसलु किर भीमहो हत्थे महु मरणु तो भइ विओयरु सो जे हउं नव-तणउ कंकु मच्छाणुचरु जम-जेडु तुरंगम-कम्म कसु (रु) दोवइ सइलिधि पात्र धरहि तं णिसुणेवि व अक्वाडए थिएण धत्ता लइ हउ गंधवें मारिउ । एहु काले हत्थु पसारिउ ॥ ! [?] Jain Education International - तो भिडिय परोपरु रण - कुसल विणि-वि गिरि-तुंग - सिंग- सिंहर विणि वि दट्टो रुट्ट चयण विणि-वि णहयल - णिह - वच्छयल त्रिणि वितगु-तेयाहय - तिमिर विणि-वि मंदर - परिभ्रमण-चल विष्ण-त्रि पहरंति पहर-खमेहि पय-भारेहिं मारिय विहि-मि महि 15.7b. मा. गगंवरसु रिट्टणेमिचरिउ सो विड-भडेण वोल्लावियउ पई विक्कम वीर-वलुज्झिएण अण्णु विणणाय सहास -बलु किउ तासु जे सुमइ - अवहरणु जो हपिसु सउतरु (?) भाइ- सउ णवावउ णरु गंडीव-धरु घसा हक्कारिउ पंडुहा णंदणु । चाणूरें जिम जणद्दणु || [ १६ ] जोवइ सहएउ गवंगरसु (?) तुहुं कीयउ महु भीमहो महि विणि-वि णत्रणाय सहास- बल विण्णि-वि जलहर -रव-गहिर - गिर विणि-त्रि गुंजाहल-सम-ग्रायण विणिव परिहोम- -भुय-जुयल विणि वि जिण-चरण-कमल-णमिर विणि-वि विष्णाण करण-कुसल भुय. दंडेहिं वज्ज-दंड-समेहि गहि-पडण- पेलणाहित्य-महि (?) For Private & Personal Use Only ४ ८. ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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