SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 178
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अट्ठावीसमो संधि १२९ घत्ता भीमु समाहय उ वच्छ-थलि मुट्ठि पहारे। कह-वि ण णिवडियउ महियले सहुँ रुहिरुग्गारें ॥ [१७] सेणावइ पेक्खेवि अतुल-बलु ओहुल्लिउ भीमहो मुह-कमलु किय होसइ महु जस-हाणि रणे वज्जेसइ अयस-पडहु भुवणे किय होसइ जणवए जंपणउं कह कह-व वि धीरेवि अप्पणउं आयासु करेवि णिय-भुय-जुयले हउ भुट्ठि-पहारे वच्छयले धारण जि वइवस-णयरु णिउ सो कीयउ कुम्मागारु किउ पइसारिय हत्थ-पाय उयरे णं पुंजिउ आमिस-णु जु धरे णीसारेवि भीमु महा-भुयए जाणाविउ दुमय-राय-सुयए गंधचेहि विड-भडु णिढविउ पेयाहिव-पंथे पट्टविउ धत्ता धाइय पवर भड मरु मारिउ की यउ केण । पंच-जणाहिएण घरु वेढिउ भाइ-सएण ॥ [१८] उज्जोउ करेवि णिज्ज्ञाइयउ सच्चर गंधव्वेहिं धाइयउ एवड्डु सरीरेण कहि-मि वणु णउ एक्कु वि करु एक्कु वि चरणु अण्णेत्तहे दीसइ दुमय-सुय वाहु-लयालिंगिय सिहिण-जुय णं काल-रत्ति दुईसणिय णं असणि सहावें भीसणिय णं विसहरि आसीविस-भरिय णं रक्खसि भुवण-भयंकरिय णं परम-कुडिणि जम-सासणहो आसंक जाय सव्वहो जणहो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy