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________________ अट्ठावीसमो संधि १२७ धत्ता कल्लए दोत्रइहे जं कइदिउ केस-कलावउ । सो मुउ किं ग मुउ णं दिण-मणि आउ विहाबउ ॥ ९ [१३] पडिव ण्णए वासरे वियड-पय । पंचालि कुमारहो पासु गय वोल्लाविय तेण मराल-गइ कुल-जाय पइव्वय विमल-मइ सुंदरि समुद्द-प्रवणीय-मुहि गंधवह केही लीह लुहि कहि काई ण इच्छहि सुयगु मई किं णस्थि हत्थि-य-साणई किं ग-वि णव-णाय-सहास-वलु किं कमल-समाणु ण मुह-कमलु किं ण-वि जुवाणु किं ण-वि सुहउ किं ण-वि पहु कि ण-वि अत्थ-मउ लइ अट्टवीस मणि-कंटाहं वाइत्तरि अवरहं मंठाहं लइ भामिणि जण-मण-भामिणिहिं महएवि-पटु महु कामिणिहिं ८ पत्ता अक्खमि केत्तडउ लइ सव्वु देमि जं मग्गहि । कोमल-वाहिएहिं छुडु एक्कसि मई आलिंगहि ॥ पडिवाणु सव्वु जं दोवइए दुव्वार-जार-मारण-मइए आवेज्जहि णच्चणसाल तुहुं तं माणहुँ बिण्णि-वि सुरय-सुहु गय तेत्थहो कहिउ विओयरहो। विडु णिवडिउ दिट्टी-गोयरहो भीमेण त्रि तं पडिवण्णु रणु अ-हिमयरु ताम गउ अथवणु ४ सेणावइ लेचि पसाहणलं संकेय-भवणु गउ अप्पणउं जहिं भीमसेणु थिउ पाइसरेवि जहिं सीहु कुरंगहो कम करेवि तहिं धंघु व सत्त(?) पइटु विडु णउ जाणइ मंडिउ मरण-पिडु रायाणुएण चिहुरेहि धरिउ णं काले पढमु कवलु भरिउ 13.8. After this ज reads onc cxtra line : सउ अवरु दहुत्तरु कामिणिहिं णाणा-गुण -जुत्त कुलब्भविहिं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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