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________________ अट्ठावीसमो संधि धत्ता ताम स-वेयणिय पंचालि स-दुक्खउ रोवइ । जइ गंधव पुरे तो किं मई विडु विग्गोवइ ।। [९] णिय-क्रीलए मंछुडु कहि-मि गय हउँ तेण विसूरमि दढ हय जइ पंचहं एक्कु-वि होंतु पुरे तो जुप्पइ रण-भर-धरण-धुरे एत्तडउ जाम जंपइ वयणु . गउ ताम दिवायरु अत्थवणु पडिवण्ण रयणि वित्थरिउ तमु कउहतर कसणी-करण-खमु किम्मीर-वीर-जम-गोयरहो गय दोवइ पास विओयरहो णं गंग-महाणइ सायरहो णं ससहर-पडिम दिवायर हो णं करिणि करिहो करड-ज्झरहो ण वल्लर-वल्लरि तरुवर हो विणएण विउज्झाविउ समुहु । णं सीह-किसोयरि पंचमुहु ८ धत्ता रोवइ दुमय-सुय दरिसंति किणंकिय हत्था । पई जीवंतएण महु एही भइय अवस्था । . [१०] तो भणइ विओयरु अरि-दमणु कहे काई माए किउ आगमणु . परिभत्रिय केण कहो तणउं दुहु पक्खालहि लोयण लुहहि मुहु तं णितुणेवि दुमय-राय-दुहिय पभणइ छण-छुद्दहीर-मुहिय महु कवणु सुहच्छी कवण दिहि जहिं तुम्ह-वि वट्टइ एह विहि ४ जो सामिसालु महि-मंडलहो थिउ हरेबि लच्छि आहंडलहो सो विहि-परिणामें संचरइ घरे मच्छहो णिच्च सेव करइ जो मुट्ठि-पहारें दलइ गिरि जं खणु वि ण मेल्लइ सुहड-सिरि जें वगु हिडिवु किम्मीरु जिउ सो हुउ विहि-वसेण महाणसिउ ८ r0 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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