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रिट्टणेमिचरिउ
[२०] तिहुयणे पसिद्ध हउं धम्म-राउ पत्थहो णीसहु भणंतु आउ मई जुज्झिउ मई हिय दुमय-जाय विस-वाणिउं पाइय मई-वि राय वट्टइ णिच्चेयण-भाउ जाम कणयहो आएसें किच्च ताम आइय मारमि पंडव भणंति मई दोच्चि, य णिवडिय तासु सत्ति ४ पंच-वि उज्जीविय मइं-वि तुम्हे लइ णिय आवासहो जाई अम्हे गउ एम भणेप्पिणु धम्म-राउ सो तव-सुउ णिय-भायर-सहाउ हिंडतेहिं गिरि-गुह-कंदरेहि अइ-विसमेहि विसम-लयाहरेहि भुजंत-कंद-फल-जीवणेहिं कंदर-खयाल-आलोयणेहिं
दुक्व-सहासई दारुणइं वारह वरिसइं गमियाई
घत्ता सहियई पंडवेहि पयंडेहि । सव्वहि-मि सई भुव-दंडेहि ॥
इय रिट्टणेमिचरिए धवलासिय-सयंभुव-कए ..
सत्तावीसमो सग्गो
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