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________________ सत्तावीसमो संधि तहिं अवसरे माणुस-रूउ लेवि तं स-सरु सरासणु करे करेवि भिल्ले वुच्चइ णिसुणि माय किच्चहे णामेण वि पंडु-जाय मुय पंच-वि पत्थु ण का-वि भंति उत्थल्लेवि जोयहि जइ जियंति तो किच्चए वुच्चइ णिसुणि भिल्ल वणराइ-महल्लेक्कल्ल-मल्ल कणएण विसज्जिय वज्ज-देह मारहि पंडव जइ तुहुँ अमोह घत्ता भिल्ले वुच्चइ माइ सुणि तुहु महिल भणेविणु परिहविय । गंपिणु णिवडहिं तासु सिरे जइ तुहुं देवय सच्चविय ॥ [१९] तं वयणु सुणेविणु थरहरंति ओहावण-माणे फरहरंति .. गय कणयहो मत्थए पडिय केम वज्जासणि गिरिवर-सिहरे जेम। तावसहो करेपिणु पलय-कालु गय देवय णिय-भवणंतरालु एत्तहे जि विमुक्कु किराय-रूउ सई धम्म-राउ पच्चक्खु हूउ उज्जीविउ णिय-तव-तगउ तेण सिंचेविणु संजीवणि-जलेण सिंचिय उज्जीविय भीम-पत्थ गंडीव-गयासणि-गहि य-हत्थ सिंचिय उज्जीविय जमल वे-वि णं चंद-सूर थिय महिहिं एवि कोक्किज्जइ धम्में पत्थ-पत्ति जा कुरुव-समूहहं काल-रत्ति कल-कोइल-कुल-रव-महुर-त्राणि णीलुप्पल-दल-सोहिल्ल-पाणि पुच्छिज्जइ राएं धम्म-राउ किं कब्जें को तुहुं एथु आउ घत्ता (तो) धन्में वुच्चइ णिसुणि सुय पई झाणत्थे महाइयउ । किच्चहे रक्खग-अशु?) पच्चक्खु होवि हउं आइयउ ॥११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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