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________________ सत्तावीसमो संघि ११७ [१५] धम्म-सुएण कारुण्णु करतें मदिहे तणयह गाउ लयंते हा सहएव देव-भुव-वंधण णउल णराहिव-दप्प-णिसुंभण हा अज्जुण सज्जण गुण-णिम्मल जय-सिरि-लंछिय-वियड-उरत्थल राहावेहे कुरुव-चमु-चूरण खंडव-डहण-मणोरह-पूरण तालुव-चम्म-जीव-विद्धंसण चित्तंगय-धणुवेय-पयासण उव्वसि-सुरय-सुक्व-परिसेसण वंदिग्गहे कुरुवइ-परियत्तण xxx वणे भाणुवइ-लुहाविय-लोयण णिहउ ण कण्णु कलिंगु जयद्दहु णवि भययत्त रणंगणे दूसहु कुरु-बलु भारहे सरेहिं ण भेल्लिर पर गंडीउ अकारणे मेल्लिड ८ धत्ता १० पत्थहो मुह-कमलु णिएवि अक्कंदइ कणइ वाह धुवइ । सिरु अप्फालइ धरंणियले हा माय भणेवि धाह मुवइ ।। [१६] पुणु भीमसेणु दढ-कढिण-भुउ पेक्खेवि धाहावइ धम्म-सुउ हा भाय सहोयर जउ-भवणे णिट्टविउ हिडिवु हिडिव-वणे भीमासुर-मय-मरट्ट-दलणे वग-रक्खस-जीविय-अवहरणे अंगयवद्धण-उवसंहरणे दोवइ-विवाहे सुर-सरि-पडणे जम-णयरि-जडासुर-पट्टवणे किम्मीर-महावल-णिट्ठवणे आएहिं सयलाह-मि पवण-सुय एही अवत्थ ण कयावि हुय ण कलिंग-गया धड समर-सय(?) ण-वि कुरु-सामंत णिरत्थ कय अहिमाण-गइंदारोहणहो ण-वि भग्गु मउडु दुज्जोहणहो दहो दृच्चरिय-पयासणहो णउ पाडिय भय दसासणहो ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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