SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११४ .. रिट्ठणेमिचरिउ विरस-मुहु विरसु बिरसणहं लागु उद्धाइउ अहि छिदंतु मम्गु थोवतरे णिय-मायर कणि? णं सुत्त आसि तहिं तेण दिट्ठ ४ णं णिवडिय इंद-पडिंद वे-वि णं चंद-सूर थिय महिहिं एवि पीवर उत्तुंग तरट्ट चट्ट ण पंडर-लच्छिहे थण विलोट्ट णं पडिय जुहिट्ठिल-वाहु-दंड . मुय जमल णिएप्पिणु चंड चंड अज्जुणेण स-दुक्खउ मुक्क धाह विणु तुम्हेहिं अम्हइ हुय अणाह ८ घत्ता केण सहोयर विद्दविय के महु सिरे पाडिउ वजु । जाएवि राय-विओयरहं कवणुत्तर देवउ अज्जु ।। [१०] हा णउल पउल महु देहि चाय सहएव देव कि(? कहि) थाहि भाय एक्कल्लउ मेल्लेवि धम्म-पुत्तु किं दीहर-णिदए सुयहुं जुत्तु विहिं तुम्हह विहि अम्हहं 'णरिंदु जिह चउहुँ विसाणहं सुर-करिंदु ४ जिह चउहुं समुद्दहं पिहिवि-भाउ तिह चउहु-मि अम्हेहिं सहिउ राउ जहिं जहिं जि जाइ तहि तर्हि जे रज्जु पर सूडिय-वक्खउ जाउ अज्जु जा तिण्णु रुण्णु तहिं ताम पत्थु पुणु कुइउ चंड-गंडीव-हत्थु । महु केरा भायर णिहय जेण सो पहरउ पहरउं समउं तेण ८ ९ घत्ता भणइ पयावइ गयण-वहे ल्हिक्केवि पच्छण्ण[ए] वायए । जो जलु लेइ महु त्तणउ सो मरइ अवत्थए आयए ॥ ... [११] मई णिहय तुहारा भाय वे-वि जइ सक्कहि तो जलु जाहि लेवि सद्दहो जे णरेण विमुक्क बाण पल्लट्ट पडीचा भग्गमाण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy