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सत्तावीसमो संधि
.११३ पच्चारिउ धम्में सव्वसाइ तिय-परिहवे सीयल संदु णाई... तो भणइ धणंजउ थाहि थाहि कहिं महु कलत्त अवहरेवि जाहि गउ ताम जाम लिस हूव ताहं पिह-पुत्तहं मदिहे गंदणाहं .. कुरु-डामरु रक्खस-पाण-घेणु वोल्लाविउ राएं भीमसेणु ८
- पत्ता ............. ..... दोवइ-परिहउ दुब्बिसहु लइ पच्छइ कुढे लग्गेसहुँ । तालउं फुइ महु तिसए लइ पाणिउ कहि-मि गवेसहूं ॥ ९
[८] तं णिसुणेवि चिंतावण्णु धम्मु वड-पायउ णिम्मिउ परम-रम्मु । णव-कोमल-कोंपल-वहल-छाउ विणिवारिय-दिणयर-कर-णिहाउ परिपूरिय-सयल-दिअंतरालु . धण-धोर-णिसायर-किय-वमालु वहुबिह-विहंग-आवास-भवणु अविरल-पारोह-णिरुद्ध-पवणु अण्णेत्तहिं णिम्मिउ सरु विचितु कंजय-मयरंदामोय दितु .. हल्लिर-महल्ल-वीई-विओलु कारंड-चक्क-उच्छलिय-रोलु तो सरवर सर-संपुण्णु जेत्थु पट्टविय जमल तो तेण तेत्थु जलु पिएवि लेत्रि किर जंति भाइ तीरंतरे तरु ओणल्ल णाई
धत्ता
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अज्जुणु वुत्त जुहिट्ठिलेण तं पाणिउ काई चिरावइ । जाहि गवेसहि तुरिउ तुहुं विहिं भाइहिं एक वि णावइ ॥
[९] तो पहु-आएसे सब-साइ आलाणहो छुट्ट गइंदु णाई दुणिमित्तई ताम समुट्ठियाई सव्वई असिवाई परिट्ठियाई 8.9c. गवेसिउ 9.2a. समुह उठ्ठियाई. 2b हरि गाइ, कम्मेण समुट्ठियाइ'...
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