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________________ ११२ रिट्ठणेमिचरित लइ लइ जिह मज्जई चक्खियाई अण्णइं पर-मंसई भाक्खियाई । णिक्कारणे संताविय कुलीण उच्छिण्णउ दिण्णउ लइ णिहीण अणेत्तहिं दाविय दाण-भोग जे जेहिं दिण्ण जे जाहं जोग्ग । पच्चारिउ धम्में धम्म-पुत्तु को झायहि को तुडं किं णिमितु ८ धत्ता पंच वि एत्थहो ओसरहो अच्छणहं ण लएब्भइ तुम्हहं । रह-गय-तुरय-णराहिवह आवासु जोग्गु इहु अम्महं ॥ ९ ४ उट्ठिउ स-रोसु तो भीमसेणु उग्गामिउ भामिउ लउडि-दंडु को महु जीवंतहो थत्ति लेइ आलिंगइ को दिणयर वलंत भुय-दंड-पयंड-बलुत्तणेण णउलेण कुंतु इयरेण खग्गु ते भिडिय पयाबइ-वले रउद्दे अणेत्तहिं दारुणु रणु करेवि णं गलगज्जंतु महा-करेणु मरु करमि पाव पई खंडु खंहु को पलय-हुआसणे झंप देइ उप्पाडइ को सुर-करिहि दंत लहु लइउ सरासणु अज्जुणेण तव-गंदणो वि मच्छर वलग्गु णं मंदर पंच महा-समुद्दे अण्णेत्तहिं गउ पंचालि लेवि । ८ । धत्ता दोवइ दइवए अवहरिए णिय-करिणिए णिज्जतियए कुढे लग्गा पंच वि पंडव । उदंड-सुड वेयंड व ॥ गउ धम्मु हरेविणु जण्णसेण गय गंडीवाउहभीम-पत्थ भाइहिं सहु धाइउ धम्म-पुत्तु विहि दावइ दोवइ जेत्थु जेत्थु कुढे लग्ग बलुदुर अमरिसेण सहएव-णउल कोंतासि-हत्थ णं चउ-विमाणु णिव्वाण-वत्त पावंति समच्छर तेथु तेत्थु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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