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सत्तावीसमो संधि
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तुटुं हरि-हरु तुहुं अरहंतु वुष्ठु कलि-कलुस-विवजिउ पगइ-सुद्ध तुहुं होमु णियमु तुहु संति-कम्मु विहि दइवु पयावइ पुणु वि धम्मु पइं होते दिहि कल्लाणु रिद्धि सयलामल केवल-परम-सिद्धि थिउ थुइ करंतु जं एम राउ तहो धम्महो आसण-कंपु जाउ ।
... . .. धत्ता ...... .. हउं संभरिउ जुहिट्ठिलेण वड्डारउ वट्टइ कज्जु । ....... मई वुड्डंतउ पंडु-कुलु रक्खेवउ किच्चउ(?हे) अज्जु ॥ १२ ... [४]
. ... गउ एम भणेविणु धम्मु तित्थु झाणत्थु झुहिट्ठिल राउ जेत्थु उप्पाइय जमउरि परम. रम्म णं गिरिवर-सिहरे तिलोय-चम्म संचारिय मण(?) यड्ढ-सेटि आयास-खलए णिक्कइय मेढि जे णिव्वय णिग्गुण चत्त-धम्म ते पयर करेविणु. पाव-कम्म खेडिज्जइ उवरि गइंद-पंति परिसक्कइ रस-मस-कसमसंति चम्मट्ठि-सुक्क-सोणियइं लेवि पर हट्ट-मज्झे विक्कंत के-वि वट्टइ चेला तुल-तोलणेहि .. लोहिएहिं समप्पहिं वोलणेहि आमिस-रुहिरइ दिज्जंति मासु अट्टिअ-सयाई संबंधु तासु
घत्ता
मंसु परायउ लंपडेहिं . कट्टेवि कट्टेवि खावियउ
जेहिं अण्ण भवंतरे खदउ । तहिं अप्पणउं जि मंसु ण लद्धउ ॥
चम्मट्ठिय-रुहिरई लेवि लेवि चउच-गइ-संसारे महा-दुगेझे अण्णेत्तहि सिंवलि अग्ग:वण्ण अण्णेत्तहिं सुर-वलि-रमणि-मंड
वंधति सरीरई के-वि के-वि चउरासी-जोणिहि लक्ख-मज्झे णिज्जति धराविय जति अण्ण णिज्जंति वि पाइजंति मंड ४
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