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________________ छ०वीसमो संघि तर्हि अवसरे भाणुवइ स-दूसल मुक्कल - केस स-गग्गर-त्रयणी धाइय कंचि-लयहिं गुप्पंती णिय-लायण्ण-जलाहे तरंती 1 भाणुवइ णिएवि कलियारएण जं चितिउ तं जि समावडिउ गय भाणुवइ असेस-महंत हं अहो एत्तियहं मज्झे एक्केण-वि अहो जुयराय राय-दूसासण सल्ल सल्ल कि सल्लेहि सल्लिउ णिक्किव कित्र किर फाई चिरावहि सत्ति कलिंग किण्ण विष्णासहि सउणि सउणि सउणत्तणु दाविउ कण्ण कण्ण किं ण सुणहि कण्णेहिं मं मेहणु करि कुरु- संघाय हो सो पर रक्खइ छलई असेसई Jain Education International तो धीरिय दोण - पियामहेहि कुरुवहो ण जाम ढुक्कइ मरणु पह-विओय-वेयण- विहलंचल कज्जल - जलेण जलोल्लिय - णयणी वहु-सोहग्ग-पंके खुप्पंती ह - कंतिर्हि णहु उज्जायंती घत्ता [ ९ ] दप्पुव्भडहं मड फरवंत हं कुल-परिवाडि ण रक्खिय केण-वि महु भत्तारहो ण किय गवसण गयणंगणे णच्चिर णारएण । खल - मत्थए अज्जु वज्जु पडिउ ॥७ धत्ता १०५ अच्छहि जेण मडप्फर- मेल्लिउ सामिय- कज्जु सुणेवि ण भावहि विहवल विलु किरण पयासहि कुरु-कुलु विकुलु जेम उड्डाविउ जें णिउ णाहु नियंतहि अण्णेहि ८ [१०] पइसरु सरणु जुहिट्ठिल- रायहो जइ-वि कियई दुण्णयई सहासई ४ For Private & Personal Use Only किं कण्ण-कलिंग - जयद्दहेहिं । तव तयहो ताम जाहि सरणु ॥ ९ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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