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जई - वि धोरु पारमिउ विग्गहु जई - वि आय कुरु वसण- णिहाला विलुद्धरणे तो-वि मइ - धीरहं पाइय जइ वि तुम्हे वणे अवगुण जइ-वि परोप्परु जणिय- महाहव तं णिसुणेवि संचल्लिय राणी
किर कुरुवइ करावें चाडु-सयई अद्ध वहे जि परिहउ ताम किउ
अहो अहो अरि-कुल-करि-पंचाणण पिय-हिय वयण रयण-रयणायर कुरु-कुल-वसुज्जुअ- चंदुग्गम रणधुर- धरण - किणकिय-कंधर
पंडव-पुंडरीय पंडिवोहण कमलाउह-कमलं किय-करयल
पर परिहव - परि- रक्खण-गारा दे भत्तार - मिक्ख महु दीणहे
तो जामिणिगम-जम - गोयरेण
सई करेण करेवउ जासु खउ
भीमु णडंतु णिवारिउ राएं गह-कल्लोले किंज्जइ चप्पणु
10-8b
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विसु जउ-भवणु जाउ केसग्गहु दुज्जण - दुम्मुह-दुपपरिवाला अमर - पराउह - लिहिय- सरीरहं कुढे लग्गंति तासु भीमज्जुण अवसरे पुट्ठिदिति कि वंधत्र तुहिणाहय व णलिणि विद्दाणी
घत्ता
रिमिचरिउ
[ ११ ]
तुम्हहं पेक्खउ पय-पंकयई । गंधव्वेहिं वंधेवि णरवइ णिउ ॥ ९
राय राय राया-रायाणण
भव्व - जीव- राजीव - दिवायर
सिरि- रामा हिराम -सुह - संगम
पालिय- दुष्परिपाल- वसुंधर पगुण-गुणोह-महामणि- रोहण
करुण-भाव सरणाइय- वच्छल कुढे लग्गहि कुरुवइहे भंडारा सरण - मणहे गुण-गण-परिहीणहे
घत्ता
किउ वद्वावणउ विओयरेण
सो पर
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रिहउ ॥
[१२]
उत्तम - पुरिसहं काई कसाएं तो-त्रिण मुत्रइ चंदु धवलत्तणु
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४.
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