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वावरं ति पहरण-संघाए हिं
पट्टिस-फलिह-मुसल-गय- घाए हिं
भलिहले (?कलिहेर्हि) भिंडिवाल - करवालेहिं सवल-झसर-सत्ति-सरजालेहिं
हुलि-हुल-मुसल-मुसुंटि-कुढारेहिं तो गंध गंधव्वत्थई
जे गरबइ रण-धुर घरेवि थिय कुरु-गाहु वलिउ चित्तंगयहो
दुण्यवंतु समुण्णय- माणउ पवर - भुयंग - केउ गय-करयलु पेक्खंतहं किव कण्ण-क - कलिंग हं रण-भर-धुर- घरणेक्क-समत्थहं दहं भीरु - मंभी सह भूगोयर - खेयर - परमीसहं तो गंधवें णिरु णिप्पसरे चूरिउ रहवरु छिण्णु महद्भउ
पेक्त दोण - पियामहहं आसत्थाम- दाण- गंगेयहं
माणा - महिंदहं किवि - कियत्रम् महं णिउ णरas णरवइहिं नियंतह
8. 5a क चिलयह गुम्फंती.
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अवरेहि-मि वहु-विहेहिं पयारेहिं
मुक्कई मोहण - गहण - समत्थई
धत्ता
रिट्टणेमिचरिउ
ते सयल-वि णवर णिरत्थ किय ।
णं 'मत्त - इंदु महा - गयो ||
किव कण्ण-विकण्ण-जयद्दहहं । विहवल - भूरी सव - राहेयहं ||
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थक्कु एक दुज्जोहण - राणउ वाहिउ रहवरु पसरिय-कलयलु जाउ जुज्झु कुरुवइ - चित्तंगहं दिवे दिवे णिदिय-वण्णिय- पत्थहं सुरवर-सुंदरि - दिण्णासीसहं दोणायरिय-घणंजय -सीसहं कह - वि कह - वि रणे लद्वावसरें कुरुव-राउ अंसुएण निवद्भर
घत्ता
दूसासण- सिंधुवइ सुसम्महं सरवर-1 र-नियरु निरंतरु दितह
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