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. रिट्ठणेमिचरिउ
णवर सुतारु एक्कु ण विसज्जिउ पंचेंदियहिं णाई मणु रंजिउ गउ चित्तंगु समाणु सहाएहिं फग्गुण-गुण-गण-कह-अणुराएहिं ताह अवसरे कुरु-कुल-कालियारउ णं आयासहो णिवडिउ णारउ पिय पडिवत्ति करेवि परोप्पर तो सद्भावे पभणइ मुणिवरु
धत्ता वहु-काले तुहुँ णिज्झाइयउ कहे कहिं गउ केत्तहो आइयउ ।। गंधवे कहिउ अणण्जुणहो सीसत्तणु मई किउ अज्जुणहो ।। ९
इंदकीले कीलणह समत्थे विज्जाहरु सुतार जिउ पत्थे तेण-वि दाहिण-सेढि पराणिउ तल-तालुवहं कुलक्खउ आणिउ णरु संकंदणेण परिपुज्जिउ मुहु चावोवएसु उवजुंजिउ आउ धणंजउ सुहि-जणु पत्तउ अम्मणुअंचिवि हउँ परियत्तउ भणइ महारिसि रणे दुप्पेच्छहो जइ सच्चउ जे सीसु वीभच्छहो एक्कु खणंतर तो पडिवालहि दुट्ठ-भाउ कुरुवइहे णिहालहि गुरु-गंगेयह विणिवारं तहं विउर-किवहं अवरह-मि महंतह पंडव-जणहं जणंतु अणक्खउ आउ स-साहणु वसणावेक्खउ
धत्ता दुजोहण-राएं एतएण वहु-दूसावासु लयंतएण । चित्त-वणु तुहारउ सुर-ललिउ णं कामिणि-जोव्वणु दरमलिउ ॥ ९
[४] जत्थ रत्तंदणा चंदणा वंदणा ताल हिंताल ताली तमालंजणा हिंगु कप्पूर कक्कोलि एला चवी केयई अब्बई मालई माहवी णीम वालिया सत्तली पाडली: रोहिणी राइणी तारणी पुप्फली चिंचिणी कंगुणी माहुलिंगी महू दक्ख रुद्दक्ख पोमक्ख रुक्खा बहू ४
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