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________________ तल-तालय-वल-पलय-करु दिग्गहु ताव समावडिउ छच्चीसमा संधि छुड छुडु भाइहे मिलिउ णरु । चित्तंगहो अज्जुणु अब्मिडिउ ॥ पंचहं वरिसहं कमल-दलच्छे जाहे चरण रतुप्पल-कोमल ताहे समंगुलियउ संगुट्टड जाहे चयारिवि अव-गत्तई जाहे नियंव-विव विथिण्णउ व मह- राउलु णं अवइण्णउं जाहे रोम- रिछोलि त्रियंभिय णं सोहग्ग-वडाय समुन्भिय जाहे पओहर हसिय ण मप्पा णं अहिसेय - कलस-कंदप्पा जाहे धरेव चंदु चंदायणु जाहे णयण र वम्मावग्गण [ १ ] दीसइ जण्णसेणि चीभच्छे ह विष्फुरिय णाई मणि सिंहल णाई सवत्तिउ पिय-संतुट्टउ पोट्टरि मंडि ऊरु कडिवत्तई • Jain Education International छण-दिणे णवर मुह- च्छवि-भायणु ाई गहो केरा मग्गण घत्ता थिय वेणि जाहे सिरे सामलिय सा दोवइ कणय- कयद्वएण [ २ ] जोइउ एक्कमक्क गंधव्वेहि णं महियलहा चयारिं वि सायर तेण जि तीमइ अवर ण भावइ सयल - वि सीस विसज्जिय थे. 1 तो एत्यंतरे सीसेहिं सव्वेहिं घण्णउं सव्वसाइ जसु भायर जासु कंत कमणीय पहावइ वीए वासरे सेमर - समत्थे 26.2 Lines 4 and 5a are missing in भा. णं कुवलय-त्रणे भसलावलि । रइ दिट्ट णाई मयरद्धरण ॥ १० ४ For Private & Personal Use Only ८ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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