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________________ पणवीसमो संधि [१३] जं दिठ्ठ तुरंगम-जुयल चल रहु रहिउ रहंगई धुरि पवलु तं वि-उण-ति-उण-तडि-तेय-तणु गंधवहुं धाउ धारिउ स-धणु अइ-सरहसु सहरिसु सामरिसु तल-तालुय-साहणु दुद्धरिसु सहु रहेण भमंतें परिभमइ थक्कतें थक्कइ वीसमइ पारद्धई कम्मई भीसणई घण-विज्जु-महण्णव-णीसणई दुम-सेल-सिला-संचालणई पडिवक्खाउह-उद्दालणइं णिरवज्जउ विज्जउ संभरेवि केहि-मि वसुहायले पइसरेवि मण-पवण-गरुड-गम-आगमहं खुर धरेवि णिरुद्ध-तुरंगमहं घत्ता . रहहो रहंगई वे-वि अवरेहिं विहिं संभावियई णं जमलेहिं गहेहिं रवि-ससि-विवइं लावियई [१४] रहु पउ-वि ण चल्लइ संमुहउ पर मोक्कलिहोइ परम्मुहउ । जोत्तारें तो उवाउ मरिउ एवड्डुवाउ हउं वीसरिउ । णर-णाह-णिसायर-णिप्पसर हम्मई तल-तालुय पविसे पर विवरेरउ एवहिं देमि रहु जे उट्ठइ कलयलु दुव्विसहु पुणु वयणे वयणे पइसारि सर अवरेण पयारें णत्थि धर अणुसूएं वलिउ परम्मुहउ पर पंडउ पहरइ संमुहउ किउ कलयलु सेण्णे णिग्गुणेण तल-तालु वियारिय अज्जुणेण जोयारु णिहालइ जाम वलु संपत्तु ताम तं धरणियलु घत्ता करयल छइय मुहेहि पुस्ख जे वाहिर दिट्ठा । . णं पल्लव-पिहिरहिं कमलेहिं अलिण पइट्टा । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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