SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९८ तहि अवसरे एक्कें सच्चविउ सवडम्गुहु ढोइउ पर-वलहा हय-वाणु समरे अणिट्टियउ सण्णा अणेय पहरणई तहि चडिउ चंड-गंडीव - घरु परिहिउ सपणाहु ण मंतु उरे आभि पत्थु तल तलुवह रहु एक्कु णिरारिउ संचरइ संदणु निवि रउ६ स- रहसु तुरई देवि रयणीयर - साह उत्थरिउ अपमाणेहिं वाणेहिं लयउ अरि सर छिंदइ अज्जुणु मण-गमणु निविसद्धु विथविण वीसमइ गिरि-कक्खडे इयडे दुम-विहे तो जलण - झुलुक्किय-खंडवेण तुहुं घुरहिं धणंजउ रहिउ जहि किं करइ वराइउ वइरि-वलु साहिय विणि तुरंग दौसइ वइरि-वलेण Jain Education International [ ११ ] णं सुर - विमाणु सग्गहो चविउ णं जाणवत्त सायर- जलहा माहिद- महारहु पट्टविउ सूरग्गि- विज्जु - फुरियाणणई णं सधणु णहंगणे अंबुहरु विज्जाहरु सारहि करेवि धुरे जय-सिरि-आलिंगण-लोलुबह णं वइवसु वाल- कील करइ [ १२ ] घन्ता जले थले गयणेण माइउ । विज्जुमालि वलु घाइउ ॥ रिट्टणेमिचरिउ णं जलय- जालु हे वित्थरि णं रुद्ध भुवंगेहिं मलय- गिरि णं गरुडु पइट्टउ अहि-भवणु रहु जले थले णहयले परिभमइ अवरहि - मि दु- संचरे विसम - पहे सारहि पोमाइड पंडवेण महि-मंडले को पडिमल्लु तर्हि पणक्खर - पेरिउ जेम जलु - घत्ता रहवरे एक्कु जे अज्जुणु । सेण्णहं होउ चउग्गुणु ॥ For Private & Personal Use Only ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy