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तहि अवसरे एक्कें सच्चविउ सवडम्गुहु ढोइउ पर-वलहा हय-वाणु समरे अणिट्टियउ सण्णा अणेय पहरणई तहि चडिउ चंड-गंडीव - घरु परिहिउ सपणाहु ण मंतु उरे आभि पत्थु तल तलुवह रहु एक्कु णिरारिउ संचरइ
संदणु निवि रउ६ स- रहसु तुरई देवि
रयणीयर - साह उत्थरिउ अपमाणेहिं वाणेहिं लयउ अरि सर छिंदइ अज्जुणु मण-गमणु निविसद्धु विथविण वीसमइ गिरि-कक्खडे इयडे दुम-विहे तो जलण - झुलुक्किय-खंडवेण तुहुं घुरहिं धणंजउ रहिउ जहि किं करइ वराइउ वइरि-वलु
साहिय विणि तुरंग दौसइ वइरि-वलेण
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[ ११ ]
णं सुर - विमाणु सग्गहो चविउ णं जाणवत्त सायर- जलहा माहिद- महारहु पट्टविउ सूरग्गि- विज्जु - फुरियाणणई णं सधणु णहंगणे अंबुहरु विज्जाहरु सारहि करेवि धुरे जय-सिरि-आलिंगण-लोलुबह णं वइवसु वाल- कील करइ
[ १२ ]
घन्ता
जले थले गयणेण माइउ । विज्जुमालि वलु घाइउ ॥
रिट्टणेमिचरिउ
णं जलय- जालु हे वित्थरि णं रुद्ध भुवंगेहिं मलय- गिरि णं गरुडु पइट्टउ अहि-भवणु रहु जले थले णहयले परिभमइ अवरहि - मि दु- संचरे विसम - पहे सारहि पोमाइड पंडवेण महि-मंडले को पडिमल्लु तर्हि पणक्खर - पेरिउ जेम जलु
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घत्ता
रहवरे एक्कु जे अज्जुणु । सेण्णहं होउ चउग्गुणु ॥
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