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पणवीसमो संधि
[९] खर-दूसण-बंसिय तहिं मिलिय तल-तालुय-कालकेउ वलिय जमदाढ-णिवायकवय पवर विजुम्मुह-विज्जुजीह अवर इंदहा ण दिति सुहु रत्ति-दिणु पहु विम्मुहु तहा वारण विणु जं दिट्ठ पुरंदर विमणु थिउ णइमित्तिएहि आएसु किउ गंडीव-विहत्थे दुज्जएण मारेवा वइरि धणंजएण सो दीसइ इंदकील-णयरे पेसिउ सुतारु एत्थावसरे सो हडं पच्छण्ण-वेसु करेवि अच्छिउ गिरि-कागणे पइसरेवि लइ जाहुं पत्थ वेयड्ढगिरि सेढिवइहे दिज्जउ राय-सिरि
घत्ता विण्णि-वि चडिय विमाणे तोणालिंगिय-विग्गह । थिय पडिवक्खहा णाई ससिहे कूर-महा-गह ।।
[१०] तो समरे अणिज्जिय-धणु-गुणहो दक्खविउ सुतारे अज्जुणहा कुरु-गंदण उहु वेयइढ-गिरि जहिं णिरुवम इंदहा तणिय सिरि दह-दहहं दहहं संजोयणई अवरई पंचोवरि जोयणइं पंचाहिय-वीसारोहिमए पंचास-तीस-दस-दीहिमए णव कूडइं उवरि अकित्तिमई सुरवर-मंडियई अणुत्तमई अण्णेत्तहिं दीसइ वइरि-वलु पक्खुहिउ णाई मयर-हर-जलु तो भणइ धणंजउ मित्त सुणे गिरि अच्छउ लग्गहुं पुरिस-गुणे पडिवक्खहो जाम ण खउ करमि रहणेउरु ताम ण पइसरमि
धत्ता स-सरु सरासणु लेवि दूरहो दोवइ-कंते ।
तं तल-तालुय-सेण्णु जोइउ णाई कयंते ॥ 10.9b ज. दोमइ
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