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________________ ६ रिडणेमिचरिउ अहो अज्जुण तुहं मई वुझियउ सुणु जेण णिमित्तें जुज्झि यउ तं कहमि असेसु वि वित्थरेण णमि-विणमि-वंसे कालंतरेण उप्पण्णु सुलोयणु खयर-वइ जिण-सासण-वच्छलु धम्म-मइ रहणेउर-चक्कवाले वसइ . तं पुण्णमेह-पहु अहिलसइ एक्कहिं दिणे मज्झे रणंगणहो जीविउ अवहरिउ सुलोयणहो तहो णंदणु तत्थहो णिक्कलिउ तिलकेस-देवि सयरहो मिलिउ ओखंधे आइउ कुइय-मणु तेण-वि विणिवाइउ पुण्णघणु सुउ तोयदवाहणु णडु रणे पइसारिउ जिणिंद समवसरणे घत्ता .. दससयलोयणु जाउ उहय-सेढि-संपुण्णउ । कालंतरेण गएण असणिवेउ उप्पण्णउ ॥ [८]. तहो विजयसीहु णामेण सुउ सउदानांणवाहणु अवरु हुउ तइयउ सहसारु सब-कुसलु उप्पण्णु इंदु तहो अतुल वलु दसकंधरेण ओहामियउ । तउ करेवि मोक्खु आयामियउ उप्पण्णु वंसे तहो चंदगइ णामेण णारि जसु पुप्फवइ मंडिय भामंडल-भुय धरेण तहो तणए वंसे कालंतरेण विज्जुप्पहु विज्जाहर पवरु परिपालइ रहणेउरणयरु उप्पण्णु इंदु तहो पढमुसुउ पुणु विज्जुमालि अवरेक्कु हुउ वे सेढिउ विहि मि समप्पियउ अप्पुणु तव-चरगे परिट्ठियउ घत्ता इंदे अविणयवंतु विज्जुमालि घल्लिज्जइ । . वलु मेल्लावेवि तेण चउदिसु डामर किज्जइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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