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________________ ९४ उदह लक्ख जिवि पंचहं वरिसहं पत्थ गय दइवी वाणि एव कवि तर्हि काले किराउ आउ पवलु आसीविस-विसहर-विसम-सरु फुरियाहरू गुंज-पुंज - यणु घणु तेण घणजउ मग्गियउ इउ जोग्गु पुलिंदा - गोत्तियहं रु पमणइ अमरिस - कुइय मणु छुहमि सराणि तुडे जिह पर कुल वहु- चितु धत्ता सीस सयहेो गुरु होसहि । णिय-भायरहं मिलेसहि ॥ देवि ण सक्कइ पत्थु कोडीसरु गुणवंतु तो एम भणेवि रणुज्ञ्जएण णं पलय- समुद्दे गज्जियउ ओहा मिय णरवर - विदरण किं हथि ण गज्जइ अतुल वलु किं फण- फुक्कारु ण मुत्रइ फणी महु तणए महावगे रइ करेवि Jain Education International [ ३ ] रिट्टणेमिचरिउ थिउ नरु परमोयरसु लहेवि आवीलिय-दढ- - तोणा-जुयल जम-भू-भंगुरु-कोवंड-धरु खय- मेह- महारव - गहिर-गिरु कहि जाहि मिस गोलग्गियउ अहवइ कुल - जायहं खत्तियह को मई जीवंतें लेइ धणु धत्ता करमि पात्र पई वेज्झउ । धणु धाणुक्क दुगेज्झउ || [ ४ ] अप्फालिउ धणु धणंजण णं जमपुर - पडहर वज्जियउ दोच्छिउ वीभच्छु पुलिंदरण हरि तो वि वियारइ कुंभयलु उप्पाडइ खगवइ तोविं मणि कहिँ जाहि जाणणे पइसरे वि घत्ता छंडेवि सरु ण सक्कइ । को धणु घरेवि ण सक्कइ ॥ For Private & Personal Use Only ४ ४ 60 www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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