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उदह लक्ख जिवि पंचहं वरिसहं पत्थ
गय दइवी वाणि एव कवि तर्हि काले किराउ आउ पवलु आसीविस-विसहर-विसम-सरु फुरियाहरू गुंज-पुंज - यणु घणु तेण घणजउ मग्गियउ इउ जोग्गु पुलिंदा - गोत्तियहं रु पमणइ अमरिस - कुइय मणु
छुहमि सराणि तुडे जिह पर कुल वहु- चितु
धत्ता
सीस सयहेो गुरु होसहि । णिय-भायरहं मिलेसहि ॥
देवि ण सक्कइ पत्थु कोडीसरु गुणवंतु
तो एम भणेवि रणुज्ञ्जएण णं पलय- समुद्दे गज्जियउ ओहा मिय णरवर - विदरण किं हथि ण गज्जइ अतुल वलु किं फण- फुक्कारु ण मुत्रइ फणी महु तणए महावगे रइ करेवि
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[ ३ ]
रिट्टणेमिचरिउ
थिउ नरु परमोयरसु लहेवि आवीलिय-दढ- - तोणा-जुयल
जम-भू-भंगुरु-कोवंड-धरु खय- मेह- महारव - गहिर-गिरु कहि जाहि मिस गोलग्गियउ
अहवइ कुल - जायहं खत्तियह को मई जीवंतें लेइ धणु
धत्ता
करमि पात्र पई वेज्झउ । धणु धाणुक्क दुगेज्झउ || [ ४ ]
अप्फालिउ धणु धणंजण णं जमपुर - पडहर वज्जियउ दोच्छिउ वीभच्छु पुलिंदरण हरि तो वि वियारइ कुंभयलु उप्पाडइ खगवइ तोविं मणि कहिँ जाहि जाणणे पइसरे वि
घत्ता
छंडेवि सरु ण सक्कइ । को धणु घरेवि ण सक्कइ ॥
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