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पणवीसमा संधि
विणिवाइए किम्मीरे जगे वित्थरिय महा-गुणु । स-धणु स-वाणु स-ताणु इंदकीलु गउ अज्जुणु ||
. [१] एक्कहिँ दिणे दाविय-दय-दिसिहि आएसे कहि-मि मह-रिसिहि खंडव-डामरु-गंडीव-धरु
गउ इंदकीलु कीलणहं. णरु तो तेण मनोहरु दिट्ठ गिरि जहिं सयल-कालु वीसमइ सिरि जो रविकंताणल-तावियउ
ससियंत तोय-उल्हावियउ जहिं तें उवरि मियंकरण कलसो व विहिज्जइ पंकएण जहिं दिणमणि मणि व परिप्फुरइ अरुणे रिउ-रह-रहंगु मुरइ जो वणयर-चरण-चहुट्टियउ जहिं गय-मय-णइउ पयट्टियउ जो पगइए दीहर-सिहरु थिउ णं णहयल-छत्तहा दंडु किउ ८
धत्ता तं धरणिहरु चडेवि अज्जुणु णर वर-केसरि थिउ परमप्पउ जेम तिहुयण-सिहरहो उप्परि ।
[२] तो भणइ धणंजउ गहिर-गिरु कर-कमल-कयंजलि पणय-सिरु जइ पावणु पुण्ण-पवित्त गिरि जइ का-वि सु देवय वसइ सिरे महु (सा) उवएसु देउ पवरु जे पुण्ण-मणारहु जामि घरु ता दइवी वाणि समुच्छलिय कोइल-कुल-कलयल-कामलिय अहो अज्जुण धीरउं करहि मणु थावंतरि होसइ घोरु रणु जउ तुज्झु पराजउ अरि-गणहा दिहि देतें वासव-परियणहो जा एवउ पई वेयड्ढ-गिरि तहिं इंदही देवी राय-सिरि स-णिवाय-कवय-तल-तालुयह अवरह-मि समर-तप्हालु यह
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