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रिट्ठणेमिचरिउ
[१७] पवसियहो वि रज्जु जुहिट्ठिलासु जो पुरवरे सो तेत्थु वि विलासु सांहीण महागय-तुरय-थट्ट भायर किंकर अखलिय-मरट्ट अ-पमेयई चमरी-चामराइं णिग्गलई णिवायई लयहराई खज्जति फलई णिरु णिरुवमाइं पिजति जलई अमिओवमाई अपभाण महामणि महिहरेहिं . रवि-किरण णिवारिय तरुवरेहिं वणसइहि-मि णिम्मिय फुल्ल-संथ वर-केसर-धूसर-राय-पंथ साहीणई पण्णई फोप्फलाई सेवउ करंति सावय-वलाई सुप्पइ पल्लव-पत्थरणे रम्मे - अविचल-मइ परम-जिणिंद-धम्मे
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धत्ता
रज्जु संयं भुजंताहो दुज्जण-दुव्वयणुज्झियहो
सुहु दुक्कर हुवउ तेत्तडउ । वणवासे वसंतहो जेत्तडउ ॥
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इय रिट्ठणेमिचरिए धवलासिय-सयंभुव-कए
चउवीसमो सग्गो
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