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चउवीसमो संधि
गउ स-धणु धणंजउ धरिवि वाण पच्छाइड गउले णियय कांतु सहएवं दीहरु लयउ वंसु
लइ आयहिं वइरिहिं लेमि पाण मं जुवइहिं होसइ चित्तु तत्तु रणे एत्तिउ होसइ रुहिरु मंसु
८
घत्ता
उद्ध-हत्थ किय दोमइए एम रुवेवउ करेवि कर
मा वग्गउ रह-गय-घोडएहिं । भाणुवइए दिवसेहि थोडएहिं ॥ १०
णिग्गमणे गमणे पंडवाहं दुणिमित्तई जायई कउरवाहं अत्थक्के दिवायर-गहण-कालु अत्थक्के वरिसिर मेह-जालु तो दोणे पभणिउ कुरुव-राउ णरवइहिं असेसह पलट जाउ एहए वि काले हउं पई मुएवि सावेण सरेण वि रिउ डहेवि धट्टजणु जो महु परम-सत्तु सो संपइ प(व)दृइ ताहं अंतु तं वयणु सुणेवि सव्वायरेण वुच्चइ धयरट्ठहो भायरेण जइ जय-सिरि जइ जीविएहि कज्जु तो अज्जवि दिज्जउ अद्ध रज्जु । ण समत्थिउ कुरुवें विउर-वक्कु महु ताह-मि दुक्कर होइ एक्कु
७ डहाव
४
८
. घत्ता
ताम पगच्छिय पंडु-सुय गिव्वाण-तरंगिणि-तणउ तडु । .. कोमल-कोंपल-वहल-दलु जहिं सो अ-पमाणु पयाग-बडु ॥ ९
. [१३] तहिं थिउ णग्गोहें अजायसत्तु तिस-भुक्स्व-पवासुव्वाय-गत्तु दिणयर-कर-पसर-वलग्ग-घम्मु परिपालिय-खत्तिय-परम-धम्मु
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