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रिट्टणेमिचरिउ
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घत्ता
वाह-जलोल्लिय-लोयणिय पुत्तम्मणअंची कांति गय । एंति विहाइय पंडवेहि पंचहिं परमेट्टिहिं णाई दय ॥ ९
- [१०] णिय-तणय णिएप्ष्णुि भणइ कोंति गरुया-वि धणुज्झिय लहुय होंति अहो हय-विहि णिग्गुण णिव्विसेस जे जगे विसिट्ठ ते तुज्झ देस तिहुवणे पहिलारी जी(१ली)ह जाहं सित्थु वि वडिगउ ण देहि ताहं उज्जुल्ल(?) हरेप्पिणु सुपुरिसाहं धणु देहि अ-मग्गिउ कुपुरिसाहं । अह तुज्झु ण दोसु वि हय विहाय महु दोसु णिरासहे जासु जाय परिपुण्ण पंडु-मदि वि कयत्थ णउ दिट्ट जेहिं एक्क वि अवत्थ हउं पाविणि पावहो तणिय खाणि मई जेही होउ म खत्तियाणि । ण-वि सक्कवि ?मि) दुक्खई धरिवि देहे वरि अच्छिय विउरहो तणए गेहे ८
धत्ता
कोंति रुवंती धीरवेवि भउ उप्पाएवि कउरवहं
आउच्छिवि परियणु पउर-पय । पंडव पंचालिए समर गय ॥
[११] गय कुति-पुत्त दोवइ-सणाह सो को वि ण जेण ण मुक्क धाह उम्माहउ सव्वहो जणहो जाम धयरट्टे पुच्छिउ विउरु ताम कहिं पंडु-पुत्त 'णिक्कलिय केम किं मिग जिह किं पंचमुह जेम अच्चंघहो अक्स्वइ विउरु वत्त सुणु णरवइ जिह कय तेहिं जत्त ओगुंठि करेप्पिणु गउ गरिंदु मा दिट्टि हणेसइ कुरुव-बिंदु भामेवि गयासणि भीमु जाइ महु भाय-सयहो किं को वि थाइ.
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