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________________ [ चउवीसमो संधि] जूउ रमेप्पिणु कउरवेहिं हिउ रज्जु जुहिट्ठिल-राणाहो । कांति थवेप्पिणु विउर-घरे वणे पंडवजंतु पयाणाहो ॥ [१] महि-कामधेणु-णिदोहणेण तो वुत्त विउरु दुज्जोहणेण जिय दोवइ दिज्जउ तुरिउ ताय वारह-वरिसावहि पंडु-जाय हिंडंतु वणंतरे संढ जेम णीसाहण णिप्पह णिरुवलेव पंचालि वि दासित्तणु करंति अच्छउ खड-लक्कड-जलु बहंति दुव्वयण-पयाणे एत्तिएण णिब्भच्छिउ कुरुवइ पित्तिएण दुम्मुह दुरास दोहग्ग-रासि किं जुज्जइ कुलवहु करेवि दारिस जसु केरी सो णरु धरिउ केण दरिसाविउ राहावेहु जेण पेक्खंतहं तुम्हहं धणु-सहाउ किउ भग्ग-मडप्फरु अंग-राउ घत्ता जेण समक्खए सुरवरहं खंडवे दावाणलु लाइयउ । जण्णसेणि जइ छित्त पई तो तहो कहिं जाहि अघाइयउ ॥ ९ [२] तं विउरहो केरउ लहेवि चित्त दुजोहणु हुयवहु जिह पलित्त णिय-भायरु पणिउ धाहि पाहि जहिं जण्णसेणि तं भवणु जाहि गउ कुरुव-णराहिव-पेसणेण पंचालि दिट्ट दूसासणेण णं सुर-बहु सरगहो महि पवण्ण अलियालि-वलय-कुवलय-समण्ण जिण-दइढ-मयण-मसि-पिंडु लेवि ण दइवें घडियालसु मुएवि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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