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रिट्टणेमिचरित
तहिं अवसरे सर-कर-परिहत्थे.. · युच्चइ लच्छि-वच्छ वींभच्छे । देव देव णउ पई लज्जावमि । तिहुवणे जस-वज्जउं वजावमि " सुरवर संढ वियारेवि वाणेहिं .. . "जिह 'मुंचति महाहवे पाणेहि । हरमि असेसहं वण्ण-विचित्तई ... पहरण-धय-वाहण-वाइत्तई ४ हउं अज्जु तियसह-मि समत्थष्ठ चरु वीसाणरु वणे वीसंस्थउ : . पेक्खु जणदण तुहु-मि मुहुत्तउ... पर-घलु करमि जाम पर हुत्तउ । एव भणेवि गंडीव-विहत्थे पवरामर पच्चारिय पत्थे लइ लग्गणउं देहु कोवि तिहुवणे भज्जहो जिह ण कयावि रणंगणे ८
घत्ता
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हउं माणुसु तुम्हई देव पेक्खंतह खंडउ दड्दु
तुम्हई वहु हउँ एक्कु जणु । जिह सक्कहो तिह करहो रणु ॥ १.
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४
तो गंडीउ तेण अप्फालिउ ... ' जुय-खए सीहे णे ओरालिउ । णं उप्पाए महाघणु गज्जिउ ...णं पेयाहिव-पडहु पजिउ महणावत्थ पत्त णं सायरु . . णं आयासहो पडिउ दिवायर " तिहुयणु खाएवि: गिद्दए भुत्तउ णं घोरइ कियंतु सुहु सुत्तर - तो सामरिसेहिं विरइय-थाणेहिं ... वारुणु सरु पेसिउ गिव्वाणेहिं जलहर-जालु स-बिज्जु पदरिसिउ मुसल-पमाणहिं धारहिं वरिसिउं जिह उल्हाणउ होइ ण खंडउ विरइउ तिह सरेहिं सरं-मंडउ जं जलु कहि-मि तुलग्गेहि थिप्पइ सुसेवि सुसेवि सहस-त्ति पलिप्पइ
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. घत्ता
पडिमल्लु ण दीसइ कोइ पाणियइ-मि जालउ होंति
रणे पहरं तहो दुजयहो । पुण्ण-वसेण धणंजयहो ॥
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