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________________ तेवीसमो संघि ७७ कहिं जि दुट्ठ-सीहया ललंत-दीह-जीहया सिराणियग्ग-पुच्या महिं गया स-मुच्छया कहि जि. दंति दुद्दमा मयंद-छुद्ध-कद्दमा पलित्त-कुंभ-देसया हवंति णाम-सेसय। कहिं जि अच्छभल्लुया पडंति पेल्लिएल्लया कहिं जि भीम सूयरा कयग्गि-छार-भू(बू सरा कहिं जि पुंडरीयया कया विमुक्क-जीयया कहि जि भूय-रक्खसा पलायणेक्क-लालसा पत्ता तरु-तिणई भुवंग जेवंतें काले णाई वणयर भूयई रक्खयई । सम्बई मंसई चक्खियइं ॥ तहिं अवसरे परिमुक्काकंदण मणुज-कुलक्खय फणिवइ-णंदण विणि सहोयर भाइ भुवंगम गिट्ठर-फुरिय-फणा-मणि-संगम एक्कु पलाइ पलिते सीसें वीयउ पुच्छे णर-सर-मीसें अद्दावलि-हय-सेण(?) पणट्ठा गंपिणु देवहं सरणु पइट्ठा अभउ देहि णाणा-विह-वाहणु धाइउ सरहसु सुरवर-साहणु उब्भिय-गंधवहुद्धय-धयवडु घणरव-घोरोरालिय-गय-घडु वाहिय-रहु उग्गामिय-पहरणु उप्परि णिवडइ णाई णहंगणु थाहु थाहु किं अच्छहो सेरा कुद्ध पाय सुर-रायहो केरा घत्ता जिह वणे वइसाणरु दिण्णु भग्ग भुवंगम सरण-मण । तिह तुम्हहुं दुक्कउ कालु वलहो वल्हो लइ वे-वि जण ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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