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तेवीसमो संघि
खंडव-डह-डामर-वीरु. जयसिरि-रामालिंगियउ । .. दावग्गे विष्णे होवि अज्जुणु भोयणु मग्गियउ ॥ ...
[१] अण्णहिं दिवसे वइरि-विणिवायण ग़य गंगा-णइ गर-णारायण तहिं वणु दिट्ठ सुटु वित्थिण्णउं अमरुज्जाणु णाई अवइण्णउं मणहरु परहुव-वर भूएहिं (2) चिंचिणि-दण-चंपय-चूएहिं तरल-तमाल-हिंतालेहिं तालेहि सत्तलि-सरल-सिंदि-सिणि-सालेहिं दाडिम-देवदारु-मंदारेहिं .. . सुरतरु-तिलय-वउल-सहयारेहि कालागुरु-कप्पूर-पियालेहिं .. णायासोय-ढउह-हरियालेहिं .. एला-लवली-लउव-लवंगेहिं - - अवरेहि-मि णाणाविह-भंगेहिं । पल्लव-फुल्ल-फलंकिय-पायव .......। दूरोमग्गिय-अहिमयरायव कपडुम-समाण-वर-णाएं ,..जम्महो दिति ण फुड्डु संधाए.
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पत्ता
तहिं वणे वेत्तालउ जाम अच्छइ जइ-वि स-महुमहणु । भोयणहो णिमित्रों ताम अग्गए बंभणु एक्कु जणु ॥ १०
[२] कविल-केसु महु-पिंगल-लोयणु तेण धणंजउ मग्गिउ भोयणु गर-णारायण वेण्णि-वि अच्छहो काई परोप्पर मुहई णियच्छहो भूमिहिं भूमि-देउ गुणवंतउ अण्णेहिं कहि-मि णाहिं धउ पत्तउ हउ सो दावाणल तुहं पंडउ...', जइ सक्कहि तो चारहि. खंडउ ४
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