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बावीसमो संधि
नारायणु सई सु-पसण्णु जाहं स- कलत्तु पराच्छिउ सव्वसाइ अहो महसूयण अहो रामभद्द
तो सणहेवि दसार गय गोविंदहो पासु
सणाह- मेरि हय दिण्ण संख संजत्तिय रह जोत्तिय तुरंग उक्खय-दप्प-हरण-पहरणोह
णारायण णीसरु णिग्गुणेण विणिवारिउ तो केसवेण रामु किं पिटु पिंह- पिउ अच्छइ ण कोइ जसु करे लाएवी आयरेण जइ सक्कहो तो अण्णोष्ण णेहु
हरि आसु हेवि
पत्था देवि सुहद्द
णिरवसेस
हक्कारिय कउ घट्टज्जुण- दुमय - सिहंडि आय छत्तो-निवारिय आयवेहि
किय कणय- कूङ अ- परिप्पमाण
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धत्ता
सिणि सच्चइ-पिहु- बलवा । इ-निवह समुद्दहो जेवा ||
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कर-मेल असें होइ ताहं
गय पुरवरु चाहार्वति ताई कुढे लग्गहो पत्थे णिय सुहद्द
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घत्ता
अण्णोई मिलेवि पवच्चियउ । जायव आणंदु पणच्चियउ ॥
[ ११ ]
८
उद्भवि मरुद्वय धय अ-संख किय सारि-सज्ज सयल-वि मयंग हरि-वारे परिट्टिय सयल जोह णिय भइणि तुहारी अज्जुणेण ४ किं अम्हहुं पंडु ण अत्थि मामु किं पंडउ उत्तम कुलु ण होइ यि तेण जे हरेवि सयंवरेण सई हत्थे गंपि सुहृद देह
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८
विविहाहरणुज्ञ्जल विविह-वेस मद्देय-विओयर-धम्मराय
अण्णोई दिई जायवेहि
मणि- रयण- पुंज महिहर- समाण ४
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