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रिट्ठणेमिचरिउ
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घत्ता
पहरु ण दीसइ अंगे रुहिरुध्दुर-धार ण धावइ । णवर धणुद्धरि वाल. महु हियए सरासणि लावइ ।। ९
[८] कहि कण्ह कण्ण कहो तणिय एह णं चदण-लट्ठि सुअंध-देह णं पक्खालंकिय पुण्णमासि
णं मयण-पडिम सोहग्ग-रासि णं विमलंवर छणयंद छाय
णं देवय णारि-णिहेण आय हरि पभणइ परिरक्रवंतु गुज्झु जुवइउ जोयणह ण जुत्त तुज्झु ४ किं ण मुणहि इह महु सस सुहद्द णं सुकइ-महाकह गिरवसद्द तं णिसुणेवि अज्जुगु दिहि पवण्णु पई मेल्लेवि को मई जिणइ अण्णु जइ माउल-संबंधेण आय
तो वरि घर-सामिणी मझु जाय हरि हसिउ अलज्जिय जइ ण भाहि जइ कारणु तो अवहरेवि जाहि ८
घत्ता
को जाणइ कहो होइ अहवइ करमि विवाहु
जइ कह-व सयंवर मंडियउ । तो जायव-लोउ दु-चेट्टियउ ।।
जो किउ उवएसु जणद्दणेण गय विण्णि-वि दारावइ तुरंत पाहुण्णउ किउ सव्वायरेण सो णरहो समप्पिउ महुमहेण पट्टविउ धणंजउ हरि णियत्तु उज्जेत-महीहरे करेवि जत्त
[९]
सो इच्छिउ पंडुहे णंदणेण थिय के-वि दिबस तेत्तहे रमंत
जो दिण्णु सहा-मणि सायरेण चउ सेय तुरं गम सह रहेण ४ गउ सरहसु हरिसुल्लसिय-गत्तु सहु रहेण सुहद्द-वि तहिं जे पत्त
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