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________________ रिट्ठणेमिचरिउ ७२ घत्ता पहरु ण दीसइ अंगे रुहिरुध्दुर-धार ण धावइ । णवर धणुद्धरि वाल. महु हियए सरासणि लावइ ।। ९ [८] कहि कण्ह कण्ण कहो तणिय एह णं चदण-लट्ठि सुअंध-देह णं पक्खालंकिय पुण्णमासि णं मयण-पडिम सोहग्ग-रासि णं विमलंवर छणयंद छाय णं देवय णारि-णिहेण आय हरि पभणइ परिरक्रवंतु गुज्झु जुवइउ जोयणह ण जुत्त तुज्झु ४ किं ण मुणहि इह महु सस सुहद्द णं सुकइ-महाकह गिरवसद्द तं णिसुणेवि अज्जुगु दिहि पवण्णु पई मेल्लेवि को मई जिणइ अण्णु जइ माउल-संबंधेण आय तो वरि घर-सामिणी मझु जाय हरि हसिउ अलज्जिय जइ ण भाहि जइ कारणु तो अवहरेवि जाहि ८ घत्ता को जाणइ कहो होइ अहवइ करमि विवाहु जइ कह-व सयंवर मंडियउ । तो जायव-लोउ दु-चेट्टियउ ।। जो किउ उवएसु जणद्दणेण गय विण्णि-वि दारावइ तुरंत पाहुण्णउ किउ सव्वायरेण सो णरहो समप्पिउ महुमहेण पट्टविउ धणंजउ हरि णियत्तु उज्जेत-महीहरे करेवि जत्त [९] सो इच्छिउ पंडुहे णंदणेण थिय के-वि दिबस तेत्तहे रमंत जो दिण्णु सहा-मणि सायरेण चउ सेय तुरं गम सह रहेण ४ गउ सरहसु हरिसुल्लसिय-गत्तु सहु रहेण सुहद्द-वि तहिं जे पत्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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