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________________ एकमो संधि संपीडेवि पाडिउ धरणि-वहे अच्छर-कडक्ख-लक्खाहय इं जणु जंपइ जं वलु दियवरहो संकाविय कण्णे सल्ले पडिए कुरु-अंतरे हरि-वलएव थिय जं पडियहो घाउ ण दिष्णु पुणु तं एउ ण जाणहुं कवणु गुणु तं भीमहो जिव जिव हलहरहो भणहो भडत्तणे णिव्वडिए किं कलहहो णिय-घरु जंतु दिय विद्ध राह धणु णामिउ दो सिय अवणी द राह- वेह - विड्ढें धणु - विण्णाण सहा एं गिव्वाणेहिं दुंदुहि दिण्ण हे सुर- कुसुमाई भीमहो सिरु गयई तं णिसुणेवि गय गिय-णिय- घरहं एत व कोंति परिगीट-भय जो गउ सीमंतिणि लेण-मधु सुय-बिंदु चिरात्रइ काई महु किं वग- हिडिव - सयणेहि वहिउ तहिं काले एराइय पवर-भुय णं मयण- त्राण सहु घणु-लयए णं लोयवाल धरणिए सहिय Jain Education International घत्ता वलु आयामि दिण्णी [१५] धत्ता कण-सल्ल-दुज्जोहणहं । को उद्दालइ वंभणहो || सविलक्खई लक्खई णरवरहं पत्रणाय कंपिय णाई लय सो दीसइ एंतु असेसु जणु कि भिडिय कहि-मि कउरवेहिं सहु ४ किं णेमित्तिएण अलिउ कहिउ सहुं वालए पंच-त्रि पंडु-सुय परमेट्ठि अलंकिय णं दयए सयलेहि विवत्त कोंतिहे कहिय ८ समर-रसइढें तुम्ह - पसाएं कण्ण-मडम्फर - भंजण । दोवइ लद्ध घणंजएण ॥ ४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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