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एक्कवासमा संधि
तं णिसुणिवि धाइउ कुरुव-बलु णं णिम्मज्जायउ उवहि-जलु हय-भीम-भेरि-गंभीर-सरु दपहरण-पहरण-पवर-करु किय-कलयलु उभिय-वय-णिववहु चोइय-कार वाहिय-विविह-रहु तं पेवेवि पंचालाहिवइ गउ विपहं सरणु खलंत-गइ
चत्ता
पवण-किरण-धूमासणु हुणिय-हु यासणु वेय-महा-भर-धुर-धरणु । इह-पर-लोय-तरंडउ पूया-हंडउ वभणु कहो ण होइ सरणु ॥९
[११] मंभीसेवि भीमसेणु भणइ पई दुमय माम को आहणइ पर राहावेह-वियंभणहो करे जाम सरासणु वंभणहो मई आयहो जमलीहूयएण खय-कालहो जिह जम दूयएण को करयले लग्गइ दोवइहे को छिबइ फणामणि फणिवइहे को चंदाइच्चहं पह हरइ को सीहेहिं समउ केलि करइ तो एम भगेवि हरिसिय-मणेण उम्मूलिउ पायउ पिहि-सुएण णिप्पत्तिवि वाहु-जुबले कियउ णं सुर-करि उद्ध-सोंडु थियउ तो हयगय-रह-णर-वर-पवलु आढत्तु हणेवए कुरुव-बलु दामोयरु दावइ हलहरहो पर साहसु एउ विओयरहो
धत्ता जेण चडिण्णु घणुग्गुणु एहु सो अज्जुणु इयर तिणि जम-धम्मसुय । पंडव होंति णिरुत्तउ वल मई वुत्तउ जउहरे अण्ण-वि के-वि मुय ॥१०
[१२] तो दुद्दम-दणु-तणु-दारणेहिं तरु-स-सर-सरासण-पहरणे हिं पहरंतेहिं ज जाणिय-गुणेहिं भज्जंतु समरु भीमज्जुणेहि
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