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सूरायवह
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रिट्ठणेमिचरिउ दुज्जोहण-पमुहई दुम्मइहिं वत्तीस-सहासइं णरवइहिं आहुट्ट-वि कोडिउ जायवहं छत्तोह-छण्ण-सूरायवहं गंधार-मगह(?) मगहाहिवइ जालंधर-सिंधुर-कच्छवइ थिय मंचहिं अप्पण-अप्पणेहिं मुह-राउ णियंता दप्पणेहि
घत्ता । पंच-वि पंडुहे गंदण णयणाणंदण विप्पह-तणए मंचे चडिय । दोमइ-दइय-विसेसें णं णर-वेसे लोयवाल गयणहो पडिय ॥२॥
तो णरवर- जण-मण-दारणिय णं हत्थ-भल्लि कामहो तणिय स-करेणु स-धाइ स-साहणिय परमेसरि गहिय-पसाहणिय मणहरणाहरणालंकरिय. सोलहमए वासरे णीसरिया लक्खणई जाहे सुह-संगयई... गंभीरइं तिणि सु-दुण्णयई सोहग्ग-रासिधण-सामलियण पंकए भमरावलि मिलिय . धवलायवत्त सिय-चामरिय... धट्टज्जुण-पमुहेहिं परियविय गुरु-गंधवहुद्धय-धवल-धय मोहण-वेल्लि व मोहंति गय जं जं जोयइ सो सो मरइ खय-तक्खय-दिट्टिहे अणुहरइ
घत्ता कलहुपत्ति-णिमित्ती बहु-वरइत्ती सारभूय रामायणहो । सत्ति व रावण-केरी दुक्ख-जणेरी हियइ परिट्टिय लक्षणहो ॥९॥
सहसत्ति सल्लु सल्लंति गय विससेणहो णं विस-विसम लय णं कण्णहो कण्णिय उरे भरिय णं हेइ कलिंगहो ओयरिय कुल-कलह-केलि कलि-रोहणहो णं दुक्ख-खाणि दुज्जोहणहो दुट्टहो दुच्चरिय-पगासणहोणं पाण-हाणि दूसासणहो
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