SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूरायवह ६० रिट्ठणेमिचरिउ दुज्जोहण-पमुहई दुम्मइहिं वत्तीस-सहासइं णरवइहिं आहुट्ट-वि कोडिउ जायवहं छत्तोह-छण्ण-सूरायवहं गंधार-मगह(?) मगहाहिवइ जालंधर-सिंधुर-कच्छवइ थिय मंचहिं अप्पण-अप्पणेहिं मुह-राउ णियंता दप्पणेहि घत्ता । पंच-वि पंडुहे गंदण णयणाणंदण विप्पह-तणए मंचे चडिय । दोमइ-दइय-विसेसें णं णर-वेसे लोयवाल गयणहो पडिय ॥२॥ तो णरवर- जण-मण-दारणिय णं हत्थ-भल्लि कामहो तणिय स-करेणु स-धाइ स-साहणिय परमेसरि गहिय-पसाहणिय मणहरणाहरणालंकरिय. सोलहमए वासरे णीसरिया लक्खणई जाहे सुह-संगयई... गंभीरइं तिणि सु-दुण्णयई सोहग्ग-रासिधण-सामलियण पंकए भमरावलि मिलिय . धवलायवत्त सिय-चामरिय... धट्टज्जुण-पमुहेहिं परियविय गुरु-गंधवहुद्धय-धवल-धय मोहण-वेल्लि व मोहंति गय जं जं जोयइ सो सो मरइ खय-तक्खय-दिट्टिहे अणुहरइ घत्ता कलहुपत्ति-णिमित्ती बहु-वरइत्ती सारभूय रामायणहो । सत्ति व रावण-केरी दुक्ख-जणेरी हियइ परिट्टिय लक्षणहो ॥९॥ सहसत्ति सल्लु सल्लंति गय विससेणहो णं विस-विसम लय णं कण्णहो कण्णिय उरे भरिय णं हेइ कलिंगहो ओयरिय कुल-कलह-केलि कलि-रोहणहो णं दुक्ख-खाणि दुज्जोहणहो दुट्टहो दुच्चरिय-पगासणहोणं पाण-हाणि दूसासणहो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy